लड़कियों ने मैदान में कदम रखा: अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर स्कूलों में लड़के-लड़कियों के संयुक्त क्रिकेट मैच का आयोजन

राजगढ़,

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर गर्ल राइजिंग और चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट (CINI) के संयुक्त आयोजन में राजगढ़ जिले के खिलचीपुर और जीरापुर में दो क्रिकेट प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं, जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों भाग ले रहे हैं।
कक्षा 8 के छात्रों के लिए आयोजित इन मैचों का उद्देश्य यह संदेश देना है कि क्रिकेट सिर्फ लड़कों का खेल नहीं, बल्कि टीमवर्क, नेतृत्व और समानता का प्रतीक है।

दो वर्षों से चल रहे RISE कार्यक्रम पर आधारित यह अभियान जिला शिक्षा कार्यालय के सहयोग से राजगढ़ के 24 सरकारी स्कूलों में चलाया जा रहा है, जहाँ छात्र सामाजिक और भावनात्मक कौशल विकास, लैंगिक समानता, डिजिटल व वित्तीय साक्षरता तथा जलवायु जागरूकता जैसे मूल्य सीख रहे हैं।
इन मैचों ने शिक्षा को कक्षा से बाहर ले जाकर लड़कियों और लड़कों को क्रिकेट के मैदान पर समान अवसर, सहानुभूति और सहयोग की भावना का अनुभव करने का अवसर प्रदान किया।

इस कार्यक्रम को कॉमिक बुक ‘कुसुम की पारी’ से भी प्रेरणा मिली, जिसकी प्रतियाँ सभी छात्रों को उपलब्ध कराई गईं।
इस कॉमिक में एक युवा लड़की कुसुम की कहानी है, जो बाधाओं और धारणाओं को तोड़कर क्रिकेट खिलाड़ी बनने के अपने सपने को पूरा करती है।

“मुझे पहले लगता था कि क्रिकेट तो बस लड़के खेलते हैं। लेकिन जब मैं खुद मैदान में उतरी, तो समझ आया कि हम भी बहुत अच्छा खेल सकते हैं। अब तो मन करता है रोज़ प्रैक्टिस करूं!”
— संजना मालवीय, कक्षा 8, मॉडल स्कूल, खिलचीपुर

मैच समाप्त होने के पश्चात सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र, मेडल और ट्रॉफी प्रदान की गई।
खिलचीपुर स्कूल के प्रिंसिपल रामचंद्र दांगी, सभी शिक्षक और एकीकृत बाल विकास परियोजना की सुपरवाइजर श्रीमती संतोष चौहान ने विद्यालय के छात्रों और उनके माता-पिता के साथ मिलकर बच्चों का स्वागत किया और उनका उत्साह बढ़ाया।

श्रीमती संतोष चौहान ने कहा,

“खेल आत्मविश्वास बढ़ाने, दृढ़ता विकसित करने और बच्चों में टीम भावना को प्रोत्साहित करने का एक सशक्त माध्यम है। जब लड़कियों को समान अवसर प्राप्त होते हैं, तो वे न केवल अपने कौशल को निखारती हैं, बल्कि शिक्षा में समानता को भी बढ़ावा देती हैं।”

गर्ल राइजिंग की प्रतिनिधि शुभ्रा ने कहा,

“बच्चे जब साथ खेलते हैं, तो वे केवल खेलना ही नहीं सीखते — वे जीवन जीने का तरीका भी सीखते हैं। वे लक्ष्य बनाना, समस्याओं का हल करना, एक-दूसरे का सम्मान करना तथा चुनौतियों से जूझकर आगे बढ़ना सीखते हैं। लड़कियों के लिए ऐसे अवसर बहुत मायने रखते हैं, क्योंकि ये उन्हें आत्मविश्वास देते हैं, सीमाएँ तोड़ने की ताकत देते हैं और यह एहसास कराते हैं कि खेल के मैदान पर उनका भी समान अधिकार है।”

जब गर्ल राइजिंग और CINI ने क्रिकेट जैसे भारत के लोकप्रिय खेल को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के उत्सव से जोड़ा, तो उन्होंने यह संदेश दिया कि

“लैंगिक समानता केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक अभ्यास है — जहाँ हर बच्चा, चाहे लड़की हो या लड़का, सपने देख सकता है, खेल सकता है और नेतृत्व कर सकता है।”

Recent Post

Live Cricket Update

You May Like This

error: Content is protected !!

4th piller को सपोर्ट करने के लिए आप Gpay - 7587428786