नवरात्रि का छठा दिन: मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र, आरती व शुभ रंग

शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व इस बार 9 नहीं बल्कि 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाएगा। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है। मान्यता है कि नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मनवांछित फल मिलता है। मां भगवती के इस स्वरूप को सफलता व यश का प्रतीक माना जाता है। जानें मां कात्यायनी का स्वरूप, प्रिय भोग, पुष्प, शुभ रंग, मंत्र, आरती व पूजा विधि।

मां कात्यायनी का स्वरूप: मां कात्यायनी सिंह पर सवार हैं। मां की चार भुजाएं हैं। दो भुजाओं में मां भगवती कमल और तलवार धारण करती हैं। एक भुजा वर मुद्रा और दूसरा भुजा अभय मुद्रा में हैं।

मां कात्यायनी पूजा विधि: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल को साफ करें। अब मां दुर्गा की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद मां को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। मां भगवती को रोली, चंदन, कुमकुम, इलायची, श्रृंगार का सामान, फल व मिठाई अर्पित करें। मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं। इसके बाद मां कात्यायनी के मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती उतारें।

मां कात्यायनी का प्रिय पुष्प: मान्यता है कि मां कात्यायनी को लाल रंग के पुष्प अतिप्रिय हैं। मान्यता है कि नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा को लाल गुलाब या लाल गुड़हल को अर्पित करने से साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मां कात्यायनी का भोग: मां कात्यायनी को शहद का भोग अतिप्रिय है। मान्यता है कि नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा को शहद का भोग लगाने से उनका आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा मां को मिठाई, हलवा, गुड़ या मीठे पान का भोग भी लगाया जा सकता है।

नवरात्रि के छठे दिन का शुभ रंग: मां कात्यायनी को पीला रंग अतिप्रिय है। कहते हैं कि मां कात्यायनी की पूजा करते समय पीले रंग के वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ होता है।

मां कात्यायनी मंत्र: मां कात्यायनी के मंत्र इस प्रकार हैं:

मुख्य मंत्र: कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

स्तुति के लिए मंत्र-

या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

मां कात्यायनी जी की आरती-

जय जय अंबे जय कात्यायनी। जय जग माता जग की महारानी॥

बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥

कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥

हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥

हर जगह उत्सव होते रहते। हर मंदिर में भगत है कहते॥

कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥

झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥

बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥

हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥

जो भी मां को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

 

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