रोहतास
डेढ़ दशक से लंबित आरा-सासाराम रेललाइन के दोहरीकरण का रास्ता अब साफ हो गया है. रेल मंत्रालय ने पूर्व मध्य रेल क्षेत्राधिकार में 12 परियोजनाओं के फाइनल लोकेशन सर्वे (एफएलएस) को मंजूरी दे दी है. इसमें 97 किलोमीटर लंबी आरा-सासाराम रेललाइन का दोहरीकरण शामिल है, इसमें लिए लगभग 232.8 लाख रुपये की लागत का सर्वे किया जाएगा. साथ ही इस रेलखंड को डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) से जोड़ने की योजना को भी मंजूरी मिल गई है.
इस दोहरीकरण से सासाराम-आरा मार्ग पर ट्रेनों का संचालन बिना किसी रुकावट के चलता रहेगा. फिलहाल यह लाइन सिंगल ट्रैक पर चल रही है जिसके कारण ट्रेनों को विपरीत दिशा से आने पर स्टेशन पर रुकना पड़ता है. इससे यात्रियों का समय बर्बाद होता है और ट्रेनों की आवाजाही भी धीमी हो जाती है. दोहरीकरण के बाद ट्रेनें समय पर चलेंगी और मार्ग पर ट्रेनों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी.
डबल होगा रेलवे लाइन
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह परियोजना भोजपुर और रोहतास जिलों के लिए बड़ी राहत लेकर आएगी. आरा-सासाराम मार्ग दोनों जिलों के व्यापार और यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है. दोहरीकरण के पूरा होने से मालगाड़ियों की आवाजाही भी सुगम होगी, जिससे स्थानीय व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा.
12 परियोजनाओं को हरी झंडी
पूर्व मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्वती चंद्र ने बताया कि बिहार में रेल अवसंरचना को मजबूत करने के लिए कुल 1051 लाख रुपये से अधिक की लागत वाली 12 परियोजनाओं के फाइनल लोकेशन सर्वे को मंजूरी दी गई है. आरा-सासाराम रेलखंड का दोहरीकरण इनमें प्रमुख परियोजना है.
2009 में आरा तक हुआ था विस्तार
सासाराम-आरा ब्रॉड गेज रेललाइन का निर्माण चरणबद्ध ढंग से हुआ. 2007 में सबसे पहले सासाराम से बिक्रमगंज तक ट्रेन सेवा शुरू हुई. इसके एक साल बाद 2008 में इसे पीरो तक बढ़ाया गया और 2009 में आरा तक रेललाइन पूरी तरह चालू हुई. तब से यह रेलखंड सिंगल ट्रैक पर ही संचालित हो रहा है. फाइनल लोकेशन सर्वे के दौरान मार्ग का सटीक निर्धारण, भू-तकनीकी अध्ययन, मिट्टी और क्षेत्र की संरचना की जांच, लागत का अनुमान और नक्शों की तैयारी की जाती है. यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि निर्माण सुरक्षित और स्थायी हो.
व्यापारिक गतिविधि होगी तेज
रेलवे विशेषज्ञों का कहना है कि दोहरीकरण के पूरा होने से न केवल यात्रियों को तेज और सुरक्षित यात्रा का लाभ मिलेगा, बल्कि डीएफसी से जुड़ने के बाद मालगाड़ियों की आवाजाही भी आसान होगी. इस परियोजना से भोजपुर और रोहतास जिलों के आर्थिक और सामाजिक विकास को भी मजबूती मिलेगी.