भोपाल टीआईटी कॉलेज लव जिहाद केस: आरोपियों के मकान होंगे जमींदोज, लीज रद्द

भोपाल

मध्यप्रदेश के भोपाल में टीआईटी कॉलेज में हुए लव जिहाद मामले ने तूल पकड़ लिया है. इस मामले में मुख्य आरोपी फरहान खान, साद और साहिल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी है. प्रशासन ने इन तीनों के घरों को अवैध अतिक्रमण मानते हुए बुलडोजर चलाने का फैसला किया है. ये मकान रायसेन रोड के अर्जुन नगर में स्थित है और शासकीय जमीन पर बने होने का दावा किया गया है.

प्रशासन ने तीनों आरोपियों को उनके मकानों से अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस जारी किया था. इस नोटिस में 4 सितंबर तक का समय दिया गया था, लेकिन आरोपियों ने अतिक्रमण नहीं हटाया. अब तहसीलदार ने 13 सितंबर को बुलडोजर कार्रवाई का अंतिम नोटिस भेजा है. अगर अब भी अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो प्रशासन मकानों को तोड़ने की कार्रवाई करेगा.

कब्जा खाली नहीं किया गया

वर्ष 1984 में इनके परिजनों को पट्टे पर जमीन दी गई थी, लेकिन लीज की अवधि पूरी होने के बाद इसे रिन्यू नहीं कराया गया। इसके बावजूद 600 वर्गफीट से अधिक पर कब्जा जमाकर मकान खड़ा कर लिया गया। तहसीलदार न्यायालय ने 19 अगस्त को ही आदेश दे दिया था कि आरोपियों के मकान अतिक्रमण हैं और इन्हें हटाया जाए। चार सितंबर तक का समय दिए जाने के बाद भी कब्जा खाली नहीं किया गया।
जमीन की लीज खत्म

अब प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए कार्रवाई तय कर दी है। एसडीएम रवीश श्रीवास्तव ने कहा कि जब जमीन की लीज खत्म हो चुकी है तो यह कब्जा अवैध है। सरकार और जिला प्रशासन किसी भी कीमत पर इस तरह की गैरकानूनी हरकतें बर्दाश्त नहीं करेगा। शुक्रवार या शनिवार को बुलडोजर चलाकर मकान जमींदोज कर दिए जाएंगे।

यह मामला तब सामने आया जब टीआईटी कॉलेज की एक छात्रा ने फरहान खान, साद और साहिल के खिलाफ दुष्कर्म और धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया. छात्रा ने बताया कि फरहान ने पहले हिंदू नाम का इस्तेमाल कर उसका विश्वास जीता और फिर उसका यौन शोषण किया. उसने आपत्तिजनक वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया और अन्य लड़कियों को भी निशाना बनाने की कोशिश की. इस मामले में भोपाल पुलिस ने बागसेवनिया, अशोका गार्डन और जहांगीराबाद थानों में कई FIR दर्ज की हैं. पुलिस ने फरहान और साहिल के खिलाफ 250 पन्नों का चालान विशेष जज नीलम मिश्रा की अदालत में पेश किया है, जिसमें 57 गवाहों की सूची और मेडिकल रिपोर्ट शामिल हैं. मामले की सुनवाई जिला कोर्ट में चल रही है. आरोपियों पर POCSO एक्ट, भारतीय दंड संहिता और मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 के तहत कार्रवाई हो रही है.

 

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