रतलाम
सोने के दाम सातवें आसमान पर हैं, जिसका सीधा असर जेवरों की डिमांड पर पड़ रहा है. सोने में तूफानी तेजी के साथ सराफा बाजार में ज्वेलरी की खरीदी बुरी तरह से गिरी है. बारिश के सीजन में डिमांड पहले से ही कमजोर थी, जिसके बाद अब सोने की ऊंची कीमतों की वजह से 22 कैरेट सोने की ज्वेलरी के ऑर्डर्स में बड़ी गिरावट आई है. जिससे ज्वेलरी निर्माण से जुड़े कारीगरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है.
रतलाम सराफा बाजार पड़ा ठंडा
शुद्ध सोने और कारीगरी के लिए प्रसिद्ध रतलाम के सराफा बाजार से ग्राहकों की रौनक गायब है. ऐसे में ज्वेलरी निर्माण से जुड़े सुनार समाज और बंगाली कारीगरों को नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं. जिससे इन कारीगरों का काम करीब 3 महीनो से बंद पड़ा हुआ है. रतलाम सराफा में ज्वेलरी निर्माण से जुड़े व्यावसायी ने बताया, '' सोने की कारीगरी से जुड़े लोगों की स्थिति बहुत खराब है. रतलाम ही नहीं पूरे भारत में स्वर्णकारो की यही हालत है.''
कोरोना काल से ज्यादा बुरा हाल
थेवा कला आर्टिस्ट और स्वर्णकार ने बताया, '' सोने के दाम में तेजी और अनिश्चितता की वजह से पूरे सराफा का कामकाज ठप्प हो गया है. यह स्थिति कोरोना काल और लॉकडाउन से भी अधिक गंभीर है क्योंकि सोने के दाम को लेकर अस्थिरता बनी हुई है. ऐसे में ग्राहक भी हल्के कैरेट ज्वेलरी या अन्य विकल्पों पर जा रहे हैं. ग्राहकी मंदी होने से नए ऑर्डर मिलना बिल्कुल बंद हो गए हैं.''
गौरतलब है कि रतलाम में 500 के करीब बंगाली कारीगर स्वर्णकारी का कार्य करते हैं. बताया कि 3 महीने से कोई काम ही नहीं मिला है. कुछ कारीगर तो वापस अपने गांव चले गए हैं.
क्यों नहीं मिल रहा काम?
दरअसल, वर्तमान में 24 कैरेट सोने के दाम 1 लाख 10 हजार प्रति 10 ग्राम के करीब हैं, जिससे ग्राहकी कमजोर हुई है. बाजार की अस्थिरता की वजह से सोने के दामों में वृद्धि या कमी होने का डर बना हुआ है जिसकी वजह से 22 कैरेट ज्वैलरी की मांग तेजी से घटी है. यही वजह है कि वर्तमान में ज्वेलरी निर्माण से जुड़े लोगों को कम नहीं मिल पा रहा है.
3 महीने से काम नहीं मिलने की वजह से खाली हाथ बैठे ज्वेलरी निर्माताओं और कारीगरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इसके बाद इन कारीगरों ने सरकार से राहत देने और कोई ठोस कदम उठाने की गुहार लगाई है.