चंडीगढ़
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जालंधर जोनल कार्यालय की टीम ने गुआवा ऑर्चर्ड (अमरूद बाग) मुआवजा घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 9.87 करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्तियां और शेयर अस्थायी रूप से अटैच किए हैं। यह कार्रवाई विकास भंडारी, भूपिंदर सिंह, रितिका भंडारी, करम सिंह और गुरदीप सिंह के खिलाफ की गई है। कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत की गई है।
विजिलेंस ब्यूरो की एफआईआर पर जांच
ईडी ने यह जांच पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की उस एफआईआर के आधार पर शुरू की थी, जिसमें भूपिंदर सिंह, विकास भंडारी और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 1988 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जानिए कैसे हुआ घोटाला
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि निजी व्यक्तियों ने सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से गुआवा के बागों का झूठा अस्तित्व दिखाकर मुआवजा हड़प लिया। यह भूमि ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (गमाडा) द्वारा एरोसिटी रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट (आईटी सिटी, एसएएस नगर, मोहाली) के लिए अधिग्रहित की जानी थी। अधिक मुआवजा पाने के लिए आरोपियों ने कई हथकंडे अपनाए। जमीन पर जहां अमरूद के पेड़ मौजूद नहीं थे, वहां भी पेड़ दिखाए। पेड़ों की घनत्व, उम्र और संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई। राजस्व अधिकारियों और बागवानी विभाग के अफसरों की मिलीभगत से नकली रिकॉर्ड तैयार कराए और फर्जी रिपोर्ट बनवाई। इस तरह अवैध तरीकों से आरोपियों ने करोड़ों रुपये का मुआवजा हासिल किया और उसे अपराध से अर्जित संपत्ति के रूप में बदल लिया।
पत्नी और सहयोगियों को ट्रांसफर की रकम
जांच में यह भी सामने आया कि विकास भंडारी ने फर्जी मुआवजे की रकम का बड़ा हिस्सा अपनी पत्नी रितिका भंडारी और अपने सहयोगियों भूपिंदर सिंह, करम सिंह और गुरदीप सिंह के पास ट्रांसफर किया। इन्हीं पैसों से खरीदी गई संपत्तियों और शेयरों को ईडी ने अब अटैच कर लिया है।
आगे की जांच जारी : ईडी
ईडी ने अपनी प्रेस रिलीज में स्पष्ट किया है कि यह अटैचमेंट अस्थायी है और आगे की जांच के बाद मामले में और खुलासे हो सकते हैं। एजेंसी अब यह भी पता लगाने में जुटी है कि इस घोटाले से जुड़ा पैसा किन-किन चैनलों और व्यक्तियों तक पहुंचा।