वन विभाग में बड़ा फेरबदल :
अरुण पाण्डेय को मिला वन्यप्राणी संरक्षण की कमान, भ्रष्टाचार पर लगाम की उम्मीद
नवा रायपुर, 05 सितंबर 2025।
छत्तीसगढ़ शासन ने वन विभाग में बड़ा प्रशासनिक बदलाव करते हुए भारतीय वन सेवा (IFS) के वरिष्ठ अधिकारी अरुण कुमार पाण्डेय (1994 बैच) को एक और अहम जिम्मेदारी सौंपी है। पाण्डेय फिलहाल प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (विकास/योजना) के पद पर पदस्थ हैं, अब उन्हें अतिरिक्त रूप से प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यजीव प्रबंधन एवं जैव विविधता संरक्षण) सह मुख्य वन्यप्राणी अधीक्षक का कार्यभार भी दिया गया है।
वन्यप्राणी संरक्षण के उत्थान की मंशा
सूत्रों का मानना है कि अरुण पाण्डेय को यह जिम्मेदारी इसलिए सौंपी गई है ताकि छत्तीसगढ़ में वन्यजीव संरक्षण, जैव विविधता प्रबंधन और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को नई दिशा मिल सके। राज्य में लगातार बढ़ती चुनौतियों – हाथी-मानव संघर्ष, अवैध शिकार और संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन – से निपटने के लिए सरकार को एक ऐसे अधिकारी की जरूरत थी, जिनके पास अनुभव और कड़ाई दोनों हों।
कड़क स्वभाव और सख्त प्रशासनिक पकड़
अरुण पाण्डेय अपने कड़े अनुशासन और सख्त प्रशासनिक शैली के लिए जाने जाते हैं। यही कारण है कि वन्यप्राणी विंग में लंबे समय से व्याप्त अनियमितताओं और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से भी उन्हें यह अतिरिक्त दायित्व सौंपा गया है। विभागीय हलकों में चर्चा है कि पाण्डेय की सख्ती से उन अधिकारियों और कर्मचारियों पर लगाम लगेगी, जो अब तक नियम-कायदों को दरकिनार कर काम करते रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहाँ हाथियों की लगातार आवाजाही और टकराव से मानवीय और पर्यावरणीय संकट खड़ा हो रहा है, वहाँ एक सख्त और दूरदर्शी अधिकारी की भूमिका बेहद अहम होगी। पाण्डेय के आने से उम्मीद की जा रही है कि वन्यप्राणी प्रबंधन योजनाओं में पारदर्शिता और तेजी आएगी।
आदेश की आधिकारिक पुष्टि
यह आदेश छत्तीसगढ़ शासन, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, मंत्रालय महानदी भवन, नवा रायपुर अटल नगर से अपर सचिव डी.आर. चंद्रवंशी द्वारा राज्यपाल के नाम से जारी किया गया है।
—
👉 संक्षेप में
अरुण पाण्डेय को वन्यजीव प्रबंधन की कमान सौंपी गई।
उत्थान के साथ-साथ भ्रष्टाचार पर सख्त निगरानी की उम्मीद।
कड़े अनुशासन और प्रशासनिक सख्ती के लिए मशहूर हैं पाण्डेय।
वन्यप्राणी संरक्षण और जैव विविधता प्रबंधन को नई दिशा मिलने की संभावना।