आयुष्मान कार्ड के बिना रेबीज इंजेक्शन से इनकार: दुर्ग जिला चिकित्सालय की शर्मनाक करतूत। गरीब मरीजों की जान से खिलवाड़, स्वास्थ्य मंत्री से लेकर कलेक्टर तक सवालों के घेरे में

आयुष्मान कार्ड के बिना रेबीज इंजेक्शन से इनकार: दुर्ग जिला चिकित्सालय की शर्मनाक करतूत।

गरीब मरीजों की जान से खिलवाड़, स्वास्थ्य मंत्री से लेकर कलेक्टर तक सवालों के घेरे में

दुर्ग। जिला चिकित्सालय दुर्ग से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोलकर रख दी है। रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी से बचाने वाले इंजेक्शन को लगाने से केवल इस आधार पर इनकार कर दिया गया कि मरीज के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है। जबकि सरकार का स्पष्ट नियम है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे किसी भी वर्ग का हो, सरकारी अस्पताल में रेबीज का टीका निःशुल्क और तुरंत लगाएगा।

लेकिन जिला चिकित्सालय दुर्ग में बैठे कर्मचारी खुलेआम इस नियम को ठेंगा दिखा रहे हैं। पीड़ित मरीज की पर्ची खुद इस शर्मनाक रवैये की गवाही दे रही है। उसे साफ शब्दों में कह दिया गया – “बिना आयुष्मान कार्ड के यहां मत आना, और 1:30 बजे तक नहीं आए तो तुम्हारा इंजेक्शन भी नहीं लगेगा।”

जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी सवालों के घेरे में

जब इस मामले पर बड़े अधिकारियों से बात की गई तो उनका बेतुका जवाब मिला – “ऐसा कोई नहीं कहता, यह सब झूठ है।” अब सवाल उठता है कि पीड़ित व्यक्ति और उसकी पर्ची क्या झूठ बोल रही है? या फिर अधिकारी अपनी नाकामी छिपाने के लिए झूठ का सहारा ले रहे हैं?

🟥⬛ मरीज की आपबीती ⬛🟥

👤 नाम: शेख युसूफ पिता शेख पापा
🏠 निवासी: बेरपारा, कसारिडीह

📅 31.08.2025 – कुत्ते ने काटा, जिला चिकित्सालय दुर्ग में तत्काल इंजेक्शन लगा।
📅 03.09.2025 – दूसरा डोज लगाने पहुँचे।

कर्मचारियों का जवाब:

“आयुष्मान कार्ड लेकर आना तभी इंजेक्शन लगेगा।”

“1:30 बजे से पहले नहीं आए तो मत आना।”

➡️ नतीजा: बिना इंजेक्शन लगाए मरीज को वापस लौटा दिया गया।

गरीबों की जिंदगी से खिलवाड़

यह कोई पहला मामला नहीं है। लंबे समय से जिला चिकित्सालय में ऐसे कर्मचारियों की मनमानी जारी है। कितने गरीब मरीज रेबीज का डोज अधूरा रहने की वजह से काल के गाल में समा गए, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं। मगर इस तरह की लापरवाही सीधे-सीधे हत्या के अपराध से कम नहीं है।

कटघरे में स्वास्थ्य मंत्री से लेकर कलेक्टर तक

अब सवाल यह उठता है कि –

स्वास्थ्य मंत्री इस खुले खेल से अनजान हैं या जानबूझकर आंख मूंदे हुए हैं?

संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं और सीएमएचओ दुर्ग आखिर किस दबाव में इन कर्मचारियों को संरक्षण दे रहे हैं?

जिला चिकित्सालय के सीएमओ आखिर किस नियम पर चल रहे हैं?

और सबसे बड़ा सवाल – दुर्ग कलेक्टर ऐसे मामलों को देखकर भी क्यों चुप्पी साधे हुए हैं? क्या उन्हें गरीबों की जिंदगी की कोई कीमत नहीं?

कार्रवाई की मांग

जनता का सीधा आरोप है कि –

दोषी कर्मचारियों पर तत्काल कड़ी कार्रवाई हो।

अब तक जिन मरीजों को अधूरा इलाज देकर मौत की ओर धकेला गया, उसकी जांच की जाए।

इस पूरे मामले में जिला चिकित्सा अधिकारी और संबंधित सीएमएचओ पर केस दर्ज किया जाए।

लोगों का कहना है कि गरीबों को भगाना और उनकी जान से खिलवाड़ करना अपराध है। यदि अब भी सरकार और प्रशासन चुप बैठा रहा, तो यह उनकी सीधी मिलीभगत और जिम्मेदारी मानी जाएगी।

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