पीरियड्स रोकने वाली गोलियों का साइड इफेक्ट: क्यों बढ़ जाता है ब्लड क्लॉट का खतरा?

नई दिल्ली

हमारे आसपास ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो किसी कारण से कभी-कभी पीरियड्स रोकने वाली दवाओं का सेवन करती हैं ताकि किसी खास दिन या मौके पर उन्हें पीरियड्स ना हों. कई बार इन दवाओं का सेवन महिलाएं डॉक्टर से पूछे बिना ही कर लेती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि पीरियड्स रोकने वाली गोलियों का सेवन करना खतरनाक साबित भी हो सकता है.

एक पॉडकास्ट में वैस्कुलर सर्जन डॉ. विवेकानंद ने अपने एक केस के बारे में बताते हुए कहा, 'कुछ समय पहले मेरे हॉस्पिटल में एक 18 साल की इंजीनियरिंग की छात्रा आई थी. उसे पैर और जांघ में काफी ज्यादा दर्द हो रहा था. रूटीन चेकअप के दौरान लड़की ने बताया कि वह 3 दिनों से पीरियड्स रोकने वाली दवा का सेवन कर रही थी क्योंकि उसके घर में पूजा थी.'

'चेकअप के दौरान उसके घरवालों को बुलाया और उन्हें बताया कि लड़की को डीप वेन थ्रोम्बोसिस की समस्या है और उसे अस्पताल में एडमिट करना होगा. लड़की के पेरेंट्स ने उसे एडमिट करने के लिए मना कर दिया और देर रात डॉक्टर के पास अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड से फोन आया कि उस लड़की को अस्पताल में लाया गया है और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है. लेकिन कुछ मिनटों के बाद ही उसकी मौत हो गई.'

ये उनके लिए काफी मुश्किल मामला था. अब ऐसे में हर लड़की या महिला को बिना प्रिस्काइब के पीरियड्स रोकने वाली गोलियां नहीं खानी चाहिए. आज हम आपको बता रहे हैं कि पीरियड्स की दवाओं का सेवन महिलाओं को क्यों नहीं करना चाहिए, डीप वेन थ्रोम्बोसिस क्या है और इसके कारण और लक्षण क्या हैं?

पीरियड्स रोकने वाली दवा से किन महिलाओं को खतरा?

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की सीनियर कंसल्टेंट, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलम सूरी का कहना है कि आजकल कई महिलाएं हार्मोनल पिल्स का इस्तेमाल पीरियड देरी करने या मासिक धर्म से जुड़ी अन्य समस्याओं के लिए करती हैं. ये पिल्स शरीर में हार्मोन्स का स्तर बदलकर काम करती हैं, जिससे पीरियड में बदलाव आता है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि हार्मोनल पिल्स लेने से खून गाढ़ा हो सकता है, जो कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है.

खून का गाढ़ा होना यानी ब्लड थिकनेस बढ़ जाना, खासकर उन लोगों में जो पहले से ही ब्लड क्लॉटिंग (थ्रोम्बोसिस) की समस्या से ग्रस्त होते हैं, खतरनाक साबित हो सकता है. जब खून गाढ़ा होता है तो ब्लड वेसल्स (रक्त वाहिकाओं) में थ्रोम्बस बन सकते हैं. ये थ्रोम्बस ब्लड के सामान्य प्रवाह को रोक देते हैं, जिससे रक्त संचार प्रभावित होता है. यदि ये थ्रोम्बस टूटकर कहीं और चले जाएं, तो वे फेफड़ों की रक्त वाहिकाओं में अटक सकते हैं. इसे पल्मनरी एम्बोलिज्म कहते हैं, जो अचानक दिल की धड़कन रुकने (सडन कार्डियक अरेस्ट) या मृत्यु का कारण बन सकता है.

इसलिए हार्मोनल पिल्स कभी भी खुद से या बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए. डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री, रिस्क फैक्टर्स और आपकी सेहत का पूरा मूल्यांकन करके ही सही दवा और मात्रा तय करते हैं. सही दवा और सही डोज़ ही आपकी सेहत के लिए सेफ होती है.

जो लोग सीधे केमिस्ट से पिल्स ले लेते हैं या बिना डॉक्टर से पूछे कोई भी मेडिकेशन शुरू कर देते हैं, उनमें ऐसे खतरनाक कॉम्प्लिकेशंस होने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहें, और हार्मोनल पिल्स जैसी दवाइयों का इस्तेमाल हमेशा डॉक्टरी सलाह के बाद करें.

क्या होता है डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT)?

डीप वेन थ्रोम्बोसिस का सामना तब करना पड़ता है जब हमारे  शरीर के अंदर मौजूद नसों में ब्लड क्लॉटिंग या खून के थक्के बनने लगते हैं. ऐसा तब होता है जब या तो आपको चोट लगी हो या आपकी नसों में बहने वाला खून काफी ज्यादा गाढ़ा हो. ये खून के थक्के खून के प्रवाह को रोक सकते हैं. आमतौर पर, डीप वेन थ्रोम्बोसिस की समस्या का सामना पैर के निचले हिस्से, जांघ या पेल्विस में करना पड़ता है, लेकिन ये समस्या शरीर के बाकी अंगों में भी हो सकती है. इसमें हाथ, ब्रेन, आंतें, किडनी और लिवर भी शामिल हैं.

डीप वेन थ्रोम्बोसिस के लक्षण और कारण क्या हैं?

यह समस्या आमतौर पर आपके पैरों या हाथों की नसों में होता है. DVT एक गंभीर स्थिति है, जिसके कारण खून का थक्का नस को बंद कर सकता है, जिससे खून का फ्लो रुक जाता है. कभी-कभी इस बीमारी के लक्षण इतने मामूली होते हैं कि लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि अन्य बार ये लक्षण अचानक और ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं. आइए जानते हैं डीप वेन थ्रोम्बोसिस केलक्षण क्या होते हैं-

सबसे आम लक्षण पैरों या हाथों की सूजन है, जो कभी-कभी अचानक शुरू हो सकती है. इस सूजन वाले हिस्से में दर्द या टेंडरनेस भी महसूस हो सकती है, खासकर जब आप खड़े होते हैं या चल रहे होते हैं. सूजन वाली जगह का रंग लाल या भूरा हो सकता है, और वहां की स्किन नार्मल से गर्म लग सकती है. दबी हुई नसें भी थोड़ी सूजी हुई  दिख सकती हैं.

कुछ मामलों में, जब क्लॉटिंग पेट की गहराई में मौजूद नसों पर असर डालती है, तो पेट या कमर में दर्द हो सकता है. अगर खून का थक्का दिमाग की नसों में बनता है, तो अचानक तेज सिरदर्द, दौरे या झटके जैसे लक्षण हो सकते हैं.

कई लोगों को इसके लक्षण नहीं भी दिख सकते. पर कभी-कभी थक्का पैर या हाथ से निकलकर फेफड़ों में चला जाता है, जिससे फेफड़ों में ब्लॉकेज हो सकती है. इसे पल्मोनरी एम्बोलिज्म (PE) कहा जाता है. PE के लक्षणों में छाती में तेज दर्द, सांस लेने में तकलीफ, खून के साथ खांसी, चक्कर आना या बेहोशी शामिल हैं.
डीप वेन थ्रोम्बोसिस का क्या कारण है?

ये स्थितियां डीप वेन थ्रोम्बोसिस के खतरे को बढ़ा सकती हैं:

  •     वंशानुगत (आनुवांशिक) स्थिति होने से खून के थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है.
  •     कैंसर और कीमोथेरेपी होना.
  •     अगर आपको या आपके परिवार में डीप वेन थ्रोम्बोसिस की हिस्ट्री रही हो.
  •     चोट, सर्जरी  के कारण नसों में ब्लड का फ्लो सीमित होना.
  •     लम्बे समय तक न हिलना-डुलना, जैसे कार, ट्रक, बस, ट्रेन या हवाई जहाज में यात्रा करते समय लम्बे समय तक बैठे रहना या सर्जरी या गंभीर चोट के बाद शरीर में कोई एक्टिविटी ना होना.
  •     गर्भवती होना या हाल ही में बच्चे को जन्म देना.
  •     40 वर्ष से अधिक उम्र होना
  •     ज्यादा वजन/मोटापा होना.
  •     तम्बाकू उत्पादों का उपयोग करना.
  •     वैरिकोज वेन्स होना.
  •     गर्भनिरोधक गोलियाँ या हार्मोन थेरेपी लेना.
  •     COVID-19 से संक्रमित होना.

 

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