सीएम रेखा गुप्ता: तूफानों से जूझने की आदत, आसुरी शक्तियों से नहीं डरती

नई दिल्ली 
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने विरोधियों को बड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि वह किसी भी आसुरी शक्ति से डरने वाली नहीं हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता शनिवार को श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) के वार्षिक दिवस समारोह को संबोधित कर रही थीं।

अपनी व्यक्तिगत यात्रा साझा करते हुए, सीएम रेखा गुप्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय में एक छात्र नेता के रूप में अपने दिनों को याद किया। उन्होंने कहा, "मुझे तूफानों से जूझने की आदत है। जब मैं डूसू प्रेसिडेंट थी, तो एक बार एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पुतला फूंकते समय एक समझदार व्यक्ति ने केरोसिन की जगह पेट्रोल डाल दिया था, जिसके कारण मेरा चेहरा जल गया। मुझे एक-डेढ़ महीने इस हालात से गुजरना पड़ा था।"

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम रेखा गुप्ता ने आगे कहा, "छोटी उम्र में भी, मेरा मानना ​​था कि आगे बढ़ते रहना चाहिए। आज दिल्ली की जनता की शक्ति और आशीर्वाद से मैं चुनौतियों का साहस के साथ सामना कर रही हूं।" उन्होंने खुद को शक्तियों का अंबार बताते हुए कहा कि मैं किसी भी असुरी शक्ति से डरने वाली नहीं हूं। मुख्यमंत्री ने कहा, "जब तक दिल्ली को उसके अधिकार नहीं मिल जाते, मैं लगातार संघर्ष करती रहूंगी। न डरूंगी, न थकूंगी और न ही हार मानूंगी।" उन्होंने यह भी कहा कि अपने ऊपर हुए हमले के बावजूद उनकी हिम्मत और संकल्प पहले से और मजबूत हुए हैं।

श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) ने शनिवार को अपना 99वां वार्षिकोत्सव मनाया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता रहीं। रेखा गुप्ता अपने ऊपर हुए हमले के बाद सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुईं। उन्होंने कॉलेज का शताब्दी लोगो लॉन्च किया। इस मौके पर सीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत विजन पर बल देते हुए कहा कि देश और दिल्ली को बेहतर बनाने में हर नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने छात्रों से राष्ट्रनिर्माण में सक्रिय भागीदारी की अपील की।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "एसआरसीसी के 99वें वार्षिकोत्सव पर परिसर में शिक्षकों और छात्रों से संवाद का अवसर मिला। सभी विजेताओं और प्रतिभागियों को ढेरों शुभकामनाएं। एशिया के सर्वश्रेष्ठ कॉमर्स कॉलेज का यह गौरवशाली सफर हम सबके लिए गर्व का विषय है। कॉलेज जीवन की यादें सचमुच सुनहरी होती हैं। चाहे जीवन में हम कितनी भी ऊंचाइयां क्यों न छू लें, वे दिन हमेशा मन में ताजा रहते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा रही हूं, इसलिए यह वातावरण मुझे अपने ही पुराने दिनों में लौटा ले गया।"

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