हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ अलग-अलग रथ में सवार होकर नगर भ्रमण करने के साथ अपनी मौसी पुरी में ही स्थिति गुंडीचा मंदिर जाते हैं। बता दें कि जगन्नाथ मंदिर में श्री कृष्ण का ही अवतार जगन्नाथ जी विराजमान है। इसके साथ ही उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलदाऊ विराजमान है। सजावट को अंतिम रूप देने में लगे मुख्य कारीगर ने बताया कि लगभग 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है।रथ की खासियत
बता दें कि तीनों देवताओं के रथ अलग-अलग नामों के अलावा रंग और आकार में होते हैं। भगवान जगन्नाथ का रथ का नाम नंदीघोष या गरुड़ध्वज होता है, जो 45.6 फीट ऊंचा होता है। इस रथ में 16 पहिए होते हैं। भगवान बलभद्र के रथ को तालध्वज होता है, जो लाल या हरा रंग का होता है। इसकी ऊंचाई 45 फीट 4 इंच है, जिसमें 14 पहिए हैं। इसके साथ ही देवी सुभद्रा के रथ को पद्म रथ या दर्पदलन कहा जाता है, जो काले या नीले रंग का होता है। इसमें 12 पहिए होते हैं और 42 फीट 3 इंच ऊंचाई होता है।कैसे पहुंचें जगन्नाथ पुरी?
अगर आप इस भव्य रथयात्रा में शामिल होना चाहते हैं, तो ट्रेन से आसानी से पहुंच सकते हैं। मंदिर के पास ही पुरी रेलवे स्टेशन है जो नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, ओखा, अहमदाबाद, तिरुपति और कई अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ी हुई हैं। अगर आप फ्लाइट से आना चाहते हैं, तो यहां सबसे निकट हवाई अड्डा भुवनेश्वर हवाई अड्डा है। इस जगह से पुरी करीब 53 किलोमीटर है।