‘फांसी घर’ बना मुसीबत, केजरीवाल और AAP नेताओं पर गिरने वाली है कानून की गाज!

नई दिल्ली
दिल्ली में इस समय विधानसभा परिसर में फांसी घर पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच रार छिड़ी हुई है। स्पीकर विजेंद्र गुप्ता इसे इतिहास का हवाला देकर गलत ठहरा चुके हैं। बीते तीन दिनों से दिल्ली विधानवसभा में इसे लेकर बहस जारी है। इसी सिलसिले में आज एक कदम और आगे बढा़ते हुए स्पीकर ने इस मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया है। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ी तो इसके लिए अरविंद केजरीवाल को भी समन किया जा सकता है।

दिल्ली विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने पहले सदन को बताया था कि जिस संरचना का 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल की ओर से फांसी घर के रूप में नवीनीकरण और उद्घाटन किया गया था, वह वास्तव में रिकॉर्ड के अनुसार एक टिफिन रूम था। विधानसभा परिसर का 1912 का नक्शा दिखाते हुए, उन्होंने बुधवार को कहा था कि ऐसा कोई दस्तावेज या सबूत नहीं है जो यह दर्शाता हो कि उस जगह का इस्तेमाल फांसी देने के लिए किया गया था। गुरुवार को इस मामले पर निर्देश देते हुए गुप्ता ने कहा कि उन्होंने इस मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेजा है।

उन्होंने कहा, "समिति पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उनके डिप्टी मनीष सिसोदिया और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल को तलब करेगी।" उन्होंने अपने आरोप को दोहराया कि फांसी घर के नाम पर झूठ फैलाया गया और इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया। उन्होंने सदन में कहा कि फांसी घर के बाहर लगी केजरीवाल के नाम वाली पट्टिका हटाई जाएगी। इसे टिफिन रूम दर्शाने वाला 1912 का नक्शा भी प्रदर्शित किया जाएगा।

 

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