मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने ‘सदानीरा जल संसाधन बहती रहे जल की धारा’ पुस्तिका का किया विमोचन

भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को मंत्रालय में जल संसाधन विभाग की "सदानीरा जल संसाधन बहती रहे जल की धारा" पुस्तिका का विमोचन किया। इस अवसर जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, पंचायत, ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल, एमएसएमई मंत्री श्री चेतन्य कुमार काश्यप भी उपस्थित थे।

यह पुस्तिका प्रदेश में इस वर्ष जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए चलाए गए जल गंगा संवर्धन अभियान पर केन्द्रित है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अभियान की अभूतपूर्व सफलता पर सभी संबंधितों को बधाई दी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारी नदियां, तालाब और जलस्रोत जीवन का आधार हैं। इनके संरक्षण के लिए सरकार और समाज का यह संयुक्त प्रयास न केवल अनुकरणीय है, बल्कि यह मध्यप्रदेश को जल प्रबंधन में अग्रणी बनाएगा।

जल संसाधन मंत्री श्री सिलावट ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के "कैच द रेन" संकल्प को मूर्त रूप देते हुए 'खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में' के सिद्धांत पर आधारित जल गंगा संवर्धन अभियान ने मध्यप्रदेश में जल संरक्षण को एक नई दिशा दी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के कुशल नेतृत्व में जल संसाधन विभाग द्वारा प्रदेश में 30 मार्च से 30 जून 2025 तक चलाए गए इस अभियान ने जल संरक्षण को एक जन-आंदोलन में परिवर्तित कर दिया।

मंत्री श्री सिलावट ने बताया कि इस अभियान ने जल संरक्षण के प्रति जागरूकता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया। डिजिटल मानचित्रण, जलवायु अनुकूल संरचनाओं का विकास और वित्तीय-तकनीकी संसाधनों का समावेश भविष्य में जल प्रबंधन को और सुदृढ़ करेगा। "जल है जीवन का आधार" का संदेश जन-जन तक पहुंचा, जिससे जल संरचनाओं का प्रभावी रखरखाव और संरक्षण सुनिश्चित हुआ। श्री सिलावट ने कहा कि जल गंगा संवर्धन अभियान ने जल संसाधन विभाग के माध्यम से प्रदेश में जल प्रबंधन और कृषि विकास के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन की आधारशिला रखी। लघु और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं की पूर्णता, नहरों की व्यापक सफाई, तालाबों व जलाशयों का जीर्णोद्धार और जन सहभागिता आधारित पहलों ने जल संसाधनों की दक्षता और स्थिरता को नया आयाम दिया। यह अभियान न केवल मध्यप्रदेश के लिए गौरव का विषय है, बल्कि जल संरक्षण के क्षेत्र में देश के लिए एक प्रेरणा बन गया है।

अभियान की उल्लेखनीय उपलब्धियां

अभियान के अंतर्गत प्रदेश के सभी 55 जिलों में 2,444 में से 2,190 वृहद् जल संरचनाओं के कार्य पूर्ण किए गए, जिनमें तालाबों व जलाशयों का जीर्णोद्धार, नहरों की सफाई, अतिक्रमण मुक्ति और वृक्षारोपण जैसे कार्य युद्ध स्तर पर हुए। उज्जैन, इंदौर, चंबल-बेतवा, नर्मदापुरम, रीवा, सागर और वैनगंगा कछार जैसे क्षेत्रों में विशेष प्रगति दर्ज की गई। जल संरचनाओं का जीर्णोद्धार कार्यों के अंतर्गत तालाबों, जलाशयों और नहरों की सफाई, पिचिंग, बोल्डर टो, पाल का पुनर्निर्माण, स्लूस गेट और घाटों की मरम्मत ने जल प्रवाह को निर्बाध बनाया। इन कार्यों ने जल संग्रहण क्षमता में वृद्धि, भूजल पुनर्भरण को प्रोत्साहन, मृदा क्षरण में कमी और जल संरचनाओं की दीर्घकालिक स्थायित्व को सुनिश्चित किया गया। अभियान के अंतर्गत नहरों की सफाई तथा नहरों को शासकीय संपत्ति के रूप में चिह्नित करने और किलोमीटर स्टोन स्थापित करने से जल प्रबंधन पारदर्शी और व्यवस्थित हुआ, जिससे अतिक्रमण हटा और अवैध जल उपयोग में कमी आई।

ऐतिहासिक जल संरचनाओं के अंतर्गत 300 वर्ष पुरानी माता अहिल्या बावड़ी का जीर्णोद्धार, कनाडिया तालाब और रतनतलाई तालाब का सौंदर्गीकरण और टिगरिया गोगा बैराज का भूमिपूजन इत्यादि इस अभियान की सफलता के प्रतीक हैं। अभियान में जनसहभागिता से केरवा बांध की सफाई, विदिशा के जमवार तालाब में श्रमदान और रामनगर में बच्चों के साथ जल संरक्षण पर विचार-विमर्श जैसे कार्यों ने समुदाय में स्वामित्व और जिम्मेदारी की भावना को प्रबल किया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Post

Live Cricket Update

You May Like This

error: Content is protected !!

4th piller को सपोर्ट करने के लिए आप Gpay - 7587428786