राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बच्चों को एल्बेन्डाजॉल की दवा खिलाकर किया शुभारंभ

रायपुर। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री टीएस सिंहदेव ने आज रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय में बच्चों को एल्बेन्डाजॉल की दवा खिलाकर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का शुभारंभ किया। उन्होंने बच्चों को अपनी गोद में लेकर स्वयं कृमिनाशक दवा का सेवन कराया। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अंतर्गत प्रदेश के 30 जिलों में एक वर्ष से 19 वर्ष तक के 88 लाख 59 हजार बच्चों और किशोरों को एल्बेन्डाजॉल की दवा खिलाई जाएगी। आज दवा खाने से छूट गए बच्चों को 15 फरवरी को मॉप-अप राउंड के दौरान दवा का सेवन कराया जाएगा।

स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का शुभारंभ करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में भारत की कुल आबादी से भी ज्यादा लोग पेट में कृमि से प्रभावित हैं। यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को रोकता है। कृमि कुपोषण और एनीमिया का खतरा भी पैदा करता है। बच्चों और किशोरों को कृमि के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए हर वर्ष दो बार राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन कर कृमिनाशक दवा खिलाई जाती है। उन्होंने सभी परिजनों से अपील की कि वे अपने बच्चों को कृमिनाशक दवा अवश्य खिलाएं। उन्होंने इस अभियान में सभी लोगों से अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

सिंहदेव ने कहा कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर सभी बच्चों और किशोरों को दवा खिलाना सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश भर में 50 हजार 255 शिक्षकों, 47 हजार 094 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और 63 हजार 435 मितानिनों को प्रशिक्षित किया गया है। आज आंगनबाड़ियों, शासकीय स्कूलों, स्वास्थ्य केन्द्रों, अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों और तकनीकी शिक्षा संस्थानों में कृमि की दवा का सेवन कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों के भोजन का बड़ा हिस्सा कृमि खा जाता है। इससे बच्चे कुपोषित और कमजोर होकर एनीमिया का शिकार हो जाते हैं। बच्चों को सेहतमंद रखने और उनके शारीरिक-मानसिक विकास के लिए पेट की कृमि को खत्म करना जरूरी है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालक भोसकर विलास संदिपान ने राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के शुभारंभ कार्यक्रम में बताया कि इस बार अभियान के दौरान प्रदेश में 88 लाख 59 हजार बच्चों और किशोरों को एल्बेन्डाजॉल की दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। रायगढ़ और सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में कृमिनाशक दवा के साथ ही राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया से बचाव की भी दवा खिलाई जा रही है। रायपुर, गरियाबंद और बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में विगत दिसम्बर माह में एलएफएमडीए (Lymphatic Filariasis Mass Drug Administration) अभियान के दौरान कृमि मुक्ति की दवा का सेवन कराया जा चुका है।

शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम के उप संचालक डॉ. व्ही.आर. भगत ने कार्यक्रम में बताया कि कृमि मुक्ति के लिए स्कूलों एवं आंगनबाड़ियों में एल्बेन्डाजॉल 400 एमजी की दवा का सेवन कराया जा रहा है। कृमि मुक्ति के लिए एक वर्ष से दो वर्ष के बच्चों को कृमिनाशक दवा एल्बेन्डाजॉल की आधी गोली पीसकर, दो से तीन वर्ष के बच्चों को एक गोली पीसकर, तीन से पांच वर्ष के बच्चों को एक गोली चबाकर तथा छह वर्ष से 19 वर्ष के बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को एक गोली चबाकर पानी के साथ खिलाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि कृमिनाशक दवा का सेवन बच्चों व किशोरों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण के स्तर, एनीमिया की रोकथाम, बौद्धिक विकास तथा शाला में उपस्थिति में सुधार आएगा।

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