एक हाथ गंवाया, फिर भी नहीं मानी हार:छत्तीसगढ़ पैरा ओलिंपिक में 3 गोल्ड जीतने वाले दिव्यांग खिलाड़ी कमलेश निषाद की कहानी

बालोद जिले के ग्राम सिवनी के रहने वाले दिव्यांग कमलेश निषाद ने हाल ही में छत्तीसगढ़ पैरा ओलिंपिक में गोल्ड मेडल हासिल किया था। जिसके बाद कलेक्टर कुलदीप शर्मा उनसे मिले और उन्हें जीत की बधाई दी। कमलेश का एक ही हाथ है, लेकिन उन्होंने कभी अपना हौसला नहीं खोया। बचपन से ही खेलों में उनकी गहरी रुचि रही है और इसी के कारण उन्होंने अपनी कमी को कभी खेलों और उनके बीच बाधा नहीं बनने दिया।

15 और 16 जनवरी को दो दिवसीय राज्य स्तरीय पैरा एथलेटिक्स प्रतियोगिता रायपुर में आयोजित हुई थी, जिसमें कमलेश निषाद ने लंबी कूद, 100 मीटर दौड़ और गोला फेंक में गोल्ड मेडल हासिल किया। सबसे बड़ी बात ये है कि कमलेश हमेशा से दिव्यांग नहीं थे, बल्कि खेल के दौरान हुए हादसे के कारण उन्हें अपना एक हाथ गंवाना पड़ा था।

लंबी कूद में गंवाया हाथ

कमलेश को शुरू से ही खेलों के प्रति जुनून रहा है। जिसके कारण उन्होंने अपना एक हाथ खो दिया। साल 2001 में लंबी कूद के दौरान उनका बैलेंस बिगड़ गया और उनका हाथ बुरी तरह से चोटिल हो गया। इलाज के बावजूद उसमें जहर फैल गया और उनका एक हाथ काटना पड़ा। वे कहते हैं कि उन्होंने एक हाथ से ही हर काम करना सीखा। वे अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए भी किसी पर निर्भर नहीं हैं और न तो उन्होंने खेलना छोड़ा। उन्होंने कहा कि मायूसी को उन्होंने अपने पास नहीं आने दिया। उन्होंने कहा कि अपने हाथ को खोने का उन्हें कोई मलाल नहीं है।

दिव्यांग खिलाड़ी कमलेश निषाद।
दिव्यांग खिलाड़ी कमलेश निषाद।

कमलेश की यात्रा हाथ कटने के बाद भी नहीं रुकी। दिव्यांग खेल में कमलेश ने पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच में दो-दो हाथ किए और भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए जीत भी दिलाई। बैंगलुरू में आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय पैरा ओलिंपिक गेम्स में उन्होंने लंबी कूद, 20 मीटर दौड़ और गोला फेंक में भी पदक हासिल कर बालोद जिले और छत्तीसगढ़ राज्य का नाम रोशन किया।

जिला स्तर पर हो आयोजन

खिलाड़ी कमलेश निषाद ने कहा कि कई सारी दिव्यांग प्रतिभाएं हैं, जो घर की चारदीवारी में कैद हैं। कुछ के पास आर्थिक समस्याएं भी हैं, जिसके कारण वे खेलों में नहीं जा पाते। उन्होंने कहा कि उनके खुद के पास कई सारे खेल खेलने के विचार हैं, लेकिन आर्थिक समस्या कहीं न कहीं बाधा डालती है। उन्होंने कहा कि यदि जिला स्तर पर पैरा ओलिंपिक जैसे आयोजन होते हैं, तो कई सारी प्रतिभाएं खुलकर सामने आएंगी।

दिव्यांग कमलेश का एक हाथ भले ही नहीं हो, लेकिन वे एक कुशल वाहन चालक हैं। वह एक हाथ से पिकअप गाड़ी चला लेते हैं और इसी में सामान लाने ले जाने का काम करते हैं, लेकिन उनका कहना है कि पुलिस उन्हें रोकती और कहती है कि एक हाथ वाले का लाइसेंस कैसे बनाएं। उन पर चालानी कार्रवाई भी की गई है।

3 गोल्ड मेडल जीते कमलेश ने।
3 गोल्ड मेडल जीते कमलेश ने।

कलेक्टर ने की हौसला अफजाई

कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने कहा कि कमलेश की उपलब्धि पर पूरे जिले को गर्व है। उन्होंने कहा कि हम ईश्वर से कामना करते हैं कि कमलेश ऐसे ही खेलते रहें। उन्होंने कहा कि प्रशासन से जो सहयोग बन सकेगा, वो किया जाएगा। कलेक्टर ने खिलाड़ी की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि वे अपना प्रदर्शन ऐसे जी जारी रखें। उन्होंने कहा कि उनके अंदर जिजीविषा भी है। वहींदिव्यांग कमलेश निषाद ने बताया कि एक हाथ ना होने के कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने बताया कि उनके बड़े भाई की मौत के बाद वही घर का पालन-पोषण करते हैं। उनके घर में बड़े भाई के परिवार के साथ कुल 4 महिलाएं हैं और 4 महिलाएं केवल कमलेश के कंधे पर आश्रित है उन्होंने कहा कि वे अपने परिवार को कभी भी दुखी होने नहीं देते और हर काम बखूबी करते हैं।

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