पद से हटेंगे WFI प्रमुख :- आखिर बृजभूषण पर गिरी गाज, बजरंग बोले- विरोध ले रहे हैं वापस

Wrestlers Protest: बुधवार को शुरू हुआ धरना शुक्रवार देर रात खत्म, 10 बिंदुओं में समझें अब तक क्या-क्या हुआ

बुधवार की सुबह लगभग 30 पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर में प्रदर्शन शुरू किया था। इसके बाद यह प्रदर्शन लगातार बढ़ता गया। पहलवानों के सामने सरकार तीन दिन तक टिकी रही, लेकिन शुक्रवार देर रात सरकार ने हार मान ली और बृजभूषण सिंह को हटा दिया गया।

प्रदर्शन में बैठे पहलवान

विस्तार

भारतीय कुश्ती संघ के खिलाफ पहलवानों का धरना खत्म हो चुका है। भारत के 30 पहलवानों ने बुधवार के दिन दिल्ली के जंतर-मंतर में भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना शुरू किया था और उन पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। हालांकि, बृजभूषण ने इस आरोपों को सिरे से खारिज किया और पहलवानों पर आरोप लगा दिए। बृजभूषण के आरोपों का पहलवानों पर कोई असर नहीं पड़ा और प्रदर्शन जारी रहा। इस बीच खेल मंत्रालय और कुश्ती संघ ने बातचीत के जरिए मामला सुलझाने की कोशिश की, लेकिन सारी कोशिशें नाकाम रहीं। पहलवान अपनी मांग पर अड़े रहे। अंत में पहलवानों के सामने बृजभूषण के दांव पेंच कमजोर पड़ गए और उन्हें कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से अस्थायी रूप से हटा दिया गया।

बुधवार सुबह शुरू हुआ प्रदर्शन तीन दिन तक चला शुक्रवार रात पहलवानों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ बात की और बृजभूषण शरण सिंह को कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से अस्थायी रूप से हटा दिया गया और उनके ऊपर लगे आरोपों की जांच के लिए समिति बना दी गई। यहां हम 10 बिंदुओं में समझा रहे हैं कि अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ है…

  • बुधवार (18 जनवरी) को बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक सहित करीब 30 पहलवान धरने पर बैठ गए। उन्होंने भारतीय कुश्ती संघ को भंग करने की मांग की। पहलवानों ने कहा कि अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और कई कोच ने खिलाड़ियों का यौन शोषण किया है।
  • अपने ऊपर लगे आरोपों पर बृजभूषण शरण सिंह ने मीडिया के सामने सफाई दी। उन्होंने सभी आरोपों को खारिज किया। बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि अगर आरोप सही साबित हुए तो मैं फांसी पर लटक जाऊंगा। साथ ही उन्होंने खिलाड़ियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये खिलाड़ी ट्रायल में भाग नहीं लेना चाहते। इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
  • पहले कुश्ती संघ के सहायक सचिव फिर बबीता फोगाट ने पहलवानों से बात कर पूरा मामला जाना और इसे सुलझाने की कोशिश की, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली। पहलवान अपनी मांग पर अड़े रहे और प्रदर्शन जारी रहा। अनुराग ठाकुर और खेल मंत्रालय के अधिकारियों ने भी पहलवानों से बात की, लेकिन पहलवान किसी के आश्वासन से संतुष्ट नहीं थे।
  • पहलवानों का धरना दूसरे दिन भी जारी रहा और उन्हें लगातार समर्थन मिलने लगा। सरकार और खेल मंत्रालय पर दबाव बढ़ा तो बातचीत का सिलसला भी बढ़ा, लेकिन पहलवान अपनी मांग पर अड़े रहे। पहलवानों ने यह भी कहा कि उनके साथ 5-6 लड़कियां हैं, जिनका यौन शोषण हुआ है और इसे साबित करने के लिए उनके पास सबूत भी हैं।
  • फोगाट खाप सहित अन्य खाप ने पहलवानों का समर्थन किया। इस बीच अनुराग ठाकुर ने पहलवानों के साथ बातचीत कर कुश्ती संघ से आरोपों पर 72 घंटे के अंदर जवाब भी मांग लिया। पहलवानों ने मौजूदा कुश्ती संघ को खत्म कर नई व्यवस्था लागू करने की बात कही। विनेश फोगाट, अंशु मलिक और बजरंग पूनिया ने बृजभूषण सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाए।
  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की नेता वृंदा करात भी पहलवानों के प्रदर्शन में पहुंची, लेकिन पहलवानों ने उन्हें मंच पर नहीं चढ़ने दिया और साफ किया कि उनका प्रदर्शन राजनीति से अलग है। उन्हें किसी राजनेता की जरूरत नहीं है। वह अपने हक के लिए लड़ सकते हैं। वह कुश्ती की भलाई के लिए विरोध कर रहे हैं।
  • पहलवानों का प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी रहा। अब तक मीडिया में इस प्रदर्शन को लेकर काफी चर्चा हो रही थी। बृजभूषण सिंह के पुराने विवाद भी सुर्खियों में आ रहे थे। पहलवान को थप्पड़ मारने का उनका वीडियो भी चर्चा में आ गया और उन पर इस्तीफे का दबाव बनने लगा। कई बड़े नेताओं ने उनका इस्तीफा मांग लिया।
  • इस बीच बृजभूषण सिंह इस्तीफा नहीं देने की बात पर अड़े रहे। उन्होंने पहलवानों पर कई गंभीर आरोप लगाए। उनके समर्थन में दिव्या काकरान ने भी पहलवानों के प्रदर्शन पर सवाल खड़े किए। हालांकि, पहलवान भी बृजभूषण सिंह के इस्तीफे की मांग पर अड़े रहे और साफ कर दिया कि जब तक बृजभूषण इस्तीफा नहीं देंगे तब तक धरना खत्म नहीं होगा। पहलवानों ने भारतीय ओलंपिक संघ को भी इस मामले में पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की।
  • पहलवानों ने यह भी कहा कि अगर 20 जनवरी तक बृजभूषण इस्तीफा नहीं देते हैं तो पहलवान उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे और उन्हें जेल के पीछे भिजवाएंगे। तीसरे दिन बैठकें और चर्चाएं चलती रहीं, लेकिन पूरे दिन कोई नतीजा नहीं आया। पहलवानों ने अनुराग ठाकुर के साथ दूसरे दिन भी मुलाकात की थी, लेकिन कोई बयान नहीं दिया था। तीसरे दिन देर रात तक चली बैठक के बाद बृजभूषण सिंह को कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। जांच पूरी होने तक वह संघ के काम में दखलअंदाजी नहीं करेंगे। बृजभूषण के हटने के साथ ही पहलवानों ने इस्तीफा वापस ले लिया।
  • कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से हटने के बाद बृजभूषण सिंह ने कहा कि वह विदेश नहीं भागेंगे। उन पर लगे सभी आरोप झूठे हैं। वहीं, बृजभूषण पर लगे आरोपों की जांच के लिए ओलंपिक संघ ने भी समिति बना दी है। अगर समिति की जांच में बृजभूषण पर लगे आरोप सही साबित होते हैं तो उनका जेल जाना तय है। इस प्रदर्शन का असर आगामी चुनाव में भी दिखेगा, जिसमें बृजभूषण के बेटे का जीतना तय माना जा रहा था, लेकिन तीन दिन के प्रदर्शन ने हालात बदल दिए हैं।

Wrestlers Protest : कैसे BJP का सिरदर्द बढ़ा सकती है कुश्ती संघ की लड़ाई ? समझें आंदोलन के बदले समीकरणों का असर

कुश्ती संघ की लड़ाई
भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों के मामले ने सियासी गलियारे में भी खलबली मचा रखी है। भले ही केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से बातचीत के बाद पहलवानों ने फिलहाल प्रदर्शन स्थगित कर दिया है, लेकिन आने वाले दिनों में ये विवाद और तूल पकड़ सकता है। इस पूरे विवाद में भारतीय जनता पार्टी का सिरदर्द बढ़ सकता है।

ऐसे में आइए जानते हैं कि इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ? कितने खिलाड़ी बृजभूषण के खिलाफ हैं और कितने उनके पक्ष में? भाजपा के लिए क्यों यह विवाद सिरदर्द बढ़ाने वाला है?

पहले जानिए अब तक क्या-क्या हुआ? 
  • बुधवार (18 जनवरी) को बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक सहित करीब 30 पहलवान धरने पर बैठ गए। उन्होंने भारतीय कुश्ती संघ को भंग करने की मांग की। पहलवानों ने आरोप लगाया कि अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और कई कोच ने महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण किया है।
  • खिलाड़ियों द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद बृजभूषण शरण सिंह मीडिया के सामने आए। उन्होंने सभी आरोपों को खारिज किया। बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि अगर आरोप सही साबित हुए तो मैं फांसी पर लटक जाऊंगा। साथ ही उन्होंने खिलाड़ियों पर ट्रायल में भाग नहीं लेने के आरोप लगाए। बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि हाल ही में बजरंग और साक्षी मुझसे मिलकर गए, तब कोई समस्या नहीं थी।
  • प्रदर्शनकारी खिलाड़ियों को कांग्रेस के साथ-साथ वाम दलों, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी का भी समर्थन मिला है। दिल्ली की पालम 360 खाप पंचायत के प्रधान सुरेंद्र सिंह सोलंकी ने भी पहलवानों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, इस मामले में कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष को तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे देना चाहिए। सरकार को उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए। ऐसा निष्पक्ष जांच के लिए जरुरी है। जंतर-मंतर पर जो खिलाड़ी बैठे हैं। वे यूं ही किसी पर आरोप नहीं लगा सकते। उनकी भी अपनी साख है।
  • 20 जनवरी को खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रदर्शनकारी पहलवानों के साथ लंबी बातचीत की। इसके बाद उन्होंने एलान किया कि इस मामले की जांच होगी और तब तक कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह अपने पद से हट जाएंगे। इसके बाद प्रदर्शनकारी पहलवानों ने भी अपने प्रदर्शन को रोकने का एलान कर दिया। बैठक के बाद पहलवान बजरंग पुनिया ने कहा, केंद्रीय खेल मंत्री ने हमारी मांगों को सुना और उचित जांच का आश्वासन दिया है। मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं और हमें उम्मीद है कि निष्पक्ष जांच होगी, इसलिए हम विरोध वापस ले रहे हैं।
क्यों भाजपा का सिरदर्द बढ़ा सकती है ये लड़ाई? 
अगले साल देशभर में लोकसभा चुनाव होना है। इसके ठीक बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी है। बृजभूषण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले ज्यादातर खिलाड़ी हरियाणा से ही हैं। अब हरियाणा की खाप पंचायतों ने भी इन पहलवानों का समर्थन कर दिया है। किसान संगठन भी इनके समर्थन में उतर आए हैं। प्रदर्शनकारी ज्यादातर खिलाड़ी जाट समुदाय से आते हैं। यही कारण है कि अब भाजपा के खिलाफ ये राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार सिंह कहते हैं, ‘किसान आंदोलन के समय भी बड़ी संख्या में जाट समुदाय के लोगों ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। अब एक बार फिर से यही माहौल बनता दिख रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खाप पंचायतें भी पहलवानों के समर्थन में उतर आईं हैं। ऐसे में अगर समय रहते इसे निस्तारित नहीं किया गया तो आने वाले चुनावों में भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। अगर हरियाणा की खाप पंचायतों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया तो सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को ही उठाना पड़ेगा। तब ये जातिगत विवाद भी हो जाएगा।’

वहीं, बृजभूषण सिंह भी पूर्वांचल के बाहुबली नेता हैं। बृजभूषण ठाकुर बिरादरी से आते हैं और इस वर्ग के वोटर्स के बीच इनकी अच्छी पैठ मानी जाती है। बृजभूषण खुद छह बार के सांसद रह चुके हैं। उनकी पत्नी भी सांसद रह चुकी हैं। उनके बेटे प्रतीक भी दो बार से विधायक हैं। ऐसे में अगर बृजभूषण पर कार्रवाई होती है तो यूपी में ठाकुर वोटर्स नाराज हो सकते हैं। पूर्वांचल में समीकरण भी बिगड़ सकता है। वहीं, अगर कार्रवाई नहीं होती है तो हरियाणा और पश्चिमी यूपी के जाट नाराज हो सकते हैं।

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