मंत्री केदार कश्यप की मर्यादा भंग न करें ‘बोटी’ पाण्डेय, पारिवारिक गरिमा को अपमानित करने से बचें अधीनस्थ अधिकारी

मंत्री केदार कश्यप की मर्यादा भंग न करें ‘बोटी’ पाण्डेय, पारिवारिक गरिमा को अपमानित करने से बचें अधीनस्थ अधिकारी

विशेष रिपोर्ट | फोर्थ पिलर न्यूज़ | जुलाई 2025

रायपुर/जगदलपुर
छत्तीसगढ़ की राजनीति में श्री केदार कश्यप एक ऐसा नाम हैं जो संघर्ष, सेवा, और संस्कारों की त्रयी पर खड़े हैं। बस्तर जैसे संवेदनशील और आदिवासी क्षेत्र से आने वाले केदार कश्यप ना केवल एक अनुभवी राजनेता हैं, बल्कि एक राजनैतिक परिवार की गौरवशाली विरासत भी उनके साथ जुड़ी है। उनके पिता स्वर्गीय बलिराम कश्यप स्वयं एक सम्मानित जनप्रतिनिधि एवं केंद्रीय क़ृषि राज्य मंत्री रह चुके हैं, और वर्षों से उनका परिवार बस्तर में सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक रूप से जनसेवा में अग्रणी रहा है।

केदार कश्यप को जनता ईमानदार, सहज और सौम्य नेता के रूप में जानती है। वे शिक्षा मंत्री के रूप में रह चुके हैं और वर्तमान में राज्य सरकार में मंत्री पद पर रहते हुए विकास व पारदर्शिता को लेकर प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने हर मंच पर भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का समर्थन किया है।

मान. केदार कश्यप के पारिवारिक पृष्ठभूमि

🟫 बलिराम कश्यप: बस्तर के जननायक

जन्म: 11 मार्च 1929, बस्तर, छत्तीसगढ़

राजनीतिक दल: भारतीय जनता पार्टी (BJP)

पहचान: बस्तर अंचल के आदिवासी समाज के बीच अपार सम्मान और लोकप्रियता

पद:

कई बार विधायक (मंडला, बस्तर क्षेत्र)

पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री, कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय

लोकसभा सांसद (बस्तर) — 1998, 1999, 2004, 2009

विशेषताएं:

बस्तर क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क विकास के लिए विशेष प्रयास

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में प्रभावशाली भूमिका

गरीब और वनवासी समाज के लिए समर्पित जनसेवक

सरलता, ईमानदारी और दृढ़ राजनीतिक विचारों के प्रतीक

देहावसान: 10 मार्च 2011 — उनके निधन पर पूरे बस्तर ने एक सच्चे जननेता को खो दिया।

🟩 उनके पुत्र श्री केदार कश्यप ने भी उनकी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए छत्तीसगढ़ सरकार में शिक्षा मंत्री और अब राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया है।

अधिकारी की अति: मंत्री की गरिमा से खेल!

किन्तु दुर्भाग्यपूर्ण रूप से, जल संसाधन विभाग, जगदलपुर के कार्यपालन अभियंता श्री वेद प्रकाश उर्फ ‘बोटी’ पाण्डेय खुलेआम मंत्री जी के नाम व संबंधों का दुरुपयोग कर रहे हैं। उनके कथित बयानों में बार-बार यह कहा जाता है कि—

> “मंत्री से मेरा फेविकोल के गठजोड़ जैसा रिश्ता है… उनके चिल्ले-पिल्ले के भी नखरे मैं ही झेलता हूँ… इसलिए मुझे कोई नहीं हटा सकता।”

 

यह न केवल मंत्री केदार कश्यप की व्यक्तिगत गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि उनके पारिवारिक संस्कारों और राजनीतिक विरासत को भी कलंकित करता है। मंत्री जी का नाम भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारी की ढाल बनता दिखाई दे रहा है।

मंत्री जी की चुप्पी से गलत संदेश

मंत्री कश्यप जी से उम्मीद की जाती है कि वे इस प्रकार के अधीनस्थ अधिकारियों की सार्वजनिक बयानबाजी को नज़रअंदाज़ न करें। यदि कोई अधिकारी यह दावा करे कि वह मंत्री जी के नाम पर किसी भी प्रकार की अनियमितता कर सकता है, तो यह केवल उस अधिकारी की नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की विश्वसनीयता पर आघात है।

क्या मंत्री कश्यप बस्तर की जनता को यही संदेश देना चाहते हैं?

कि उनके नाम का उपयोग कर कोई भी अधिकारी मनमाने ढंग से भ्रष्टाचार कर सकता है?

कि मंत्री पद की मर्यादा का प्रयोग व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए किया जा सकता है?

या कि पत्रकारों को खुलेआम चुनौती देने वाले अफसर भी संरक्षण पा सकते हैं?

सुझाव: गरिमा की रक्षा करें

केदार कश्यप जी का अब तक का राजनीतिक जीवन शुचिता और संघर्ष का प्रतीक रहा है। ऐसे में यह अपेक्षित है कि वे अपने नाम और पद की गरिमा की रक्षा स्वयं करें और ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करें जो उनके नाम को ढाल बनाकर नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं।

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