करोड़ों की बंदरबांट का मास्टरमाइंड निकला EE वेद प्रकाश पाण्डेय, जल संसाधन मंत्री के ‘वरदहस्त’ से कानून को कुचलता रहा अफसर**
जगदलपुर/बस्तर।
बस्तर जिले के जल संसाधन संभाग, जगदलपुर में घोटाले पर घोटाले उजागर हो रहे हैं। इन सबके केंद्र में हैं – कार्यपालन अभियंता वेद प्रकाश पाण्डेय, जिनके कार्यकाल में नियम-कानून, वित्तीय संहिता, तकनीकी प्रक्रिया और नैतिकता – सबकुछ बेमानी हो चुका है।
सूत्रों और दस्तावेज़ों के अनुसार, पाण्डेय न केवल नियमों को तोड़कर काम कर रहे हैं, बल्कि अपने ‘भाई-बंधुओं’ की फर्मों को ठेके दिलाने के लिए विभागीय मशीनरी का दुरुपयोग कर करोड़ों की बंदरबांट कर चुके हैं।
📌 फर्जी स्टॉप डैम से बड़ा ‘डैमेज’ – 3 मीटर के नाले पर 2.84 करोड़ का कथित ‘एनीकट’

लोहांडीगुड़ा ब्लॉक के मिचनार गांव में जिस नाले की चौड़ाई सिर्फ 3 मीटर है, उस पर ₹2.84 करोड़ की लागत से स्टॉप डैम (फर्जी नाम से “एनीकट”) बनाया जा रहा है।
- जबकि पहले इस पर ₹1.20 करोड़ की स्वीकृति थी
- वेद प्रकाश पाण्डेय ने उसे निरस्त कर ₹2.27 करोड़ की प्रशासकीय व ₹2.84 करोड़ की तकनीकी स्वीकृति स्वेच्छा से दे डाली — अपने वित्तीय अधिकार ₹80 लाख से कई गुना ज्यादा
🔍 यह नाला दिसंबर-जनवरी में सूख जाता है — यानि इस पर कोई बारहमासी जल प्रवाह नहीं होता।
📉 विशेषज्ञों का मानना है: यह कार्य सिर्फ ₹30-40 लाख में डिज़ाइन समेत पूरा हो सकता था।
💰 DMFT की योजनाओं में भी डकैती – पाण्डेय की खुली लूट

बड़े पाराकोट (तोकापाल) में भी यही खेल हुआ:
- पूर्व EE ने ₹80 लाख की स्वीकृति दी थी
- पाण्डेय ने उसे भी निरस्त कर ₹2.27 करोड़ का “नई तकनीकी स्वीकृति” बना दी
यह सब बिना G&K शेड्यूल, बिना मुख्य अभियंता की स्वीकृति और बिना ई-टेंडर के किया गया – ठेका सीधे अपने भाई की साझेदारी वाली फर्मों को।
🧠 ‘बोटी’ पाण्डेय: भ्रष्टाचार का मास्टरमाइंड, मंत्री के सबसे करीबी

✅ DMFT फंड, विभागीय मद, स्टॉप डैम, एनीकट – सब में मिलीभगत
✅ फर्जी तकनीकी स्वीकृति
✅ टेंडर में मनमानी – अकारण निरस्तीकरण
✅ अपने भाई व सहयोगियों को टेंडर दिलाना
✅ कार्य बाद में दिखा कर पहले भुगतान की तैयारी
✅ MIS में फर्जी दस्तावेज भेजने का प्रयास
🧾 विभागीय इतिहास भी दागदार – अंबिकापुर में निलंबन झेल चुके हैं पाण्डेय


वेद प्रकाश पाण्डेय पूर्व में अंबिकापुर में भी ऐसे ही कार्यों के लिए कुख्यात रहे हैं।
- वहां घटिया निर्माण, फर्जी भुगतान के आरोप में निलंबित किए गए थे
- जांच में गंभीर अनियमितताओं की पुष्टि भी हुई थी
परंतु राजनीतिक संरक्षण के चलते फिर से बहाल कर दिए गए – और अब बस्तर में ‘फुल फॉर्म’ में हैं
💣 रु. 70 करोड़ का सुपर स्कैम – 24 कार्यों की अनधिकृत TS


वेद प्रकाश पाण्डेय ने विभागीय मद के 24 कार्यों को बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के रु. 70 करोड़ से अधिक की तकनीकी स्वीकृति प्रदान कर दी।
- असली लागत सिर्फ ₹12-15 करोड़ मानी जा रही है
- MIS पोर्टल पर जब scanned आदेश मांगे गए, तो पाण्डेय ने
- पहले दबाव बनाया
- फिर झूठे कागजों का प्रयास किया
- और जब ये भी असफल हुआ तो मुख्य अभियंता के दफ्तर में धावा बोल दिया
👥 करन सिंह भण्डारी की भूमिका भी संदिग्ध – सहयोगी, मूकदर्शक या सहभागी?
- आचार संहिता के दौरान ₹20-20 लाख का आलीशान कक्ष निर्माण
- 12 कमरों का ‘शीश महल’ जैसे आवास का अनाधिकृत निर्माण
- विभागीय जानकारी होते हुए भी अनदेखी
भण्डारी ने तकनीकी स्वीकृति न देकर लौटाई, लेकिन फिर भी विभागीय गतिविधियों की अनियमितता पर कोई कार्रवाई नहीं की।
❗ अब सवाल यह है: क्या बोटी पाण्डेय को मंत्री का वरदहस्त बचा पाएगा?
- मुख्यमंत्री की Zero Tolerance नीति के सामने यह लिटमस टेस्ट है
- क्या विभागीय मंत्री इन तमाम काले कारनामों के बावजूद चुप रहेंगे?
📢 जनहित की मांग: SC/ST क्षेत्र में DMFT धन के दुरुपयोग पर हो विशेष जांच
✅ CBI या EOW से जांच हो
✅ वेद प्रकाश पाण्डेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए
✅ मुख्य अभियंता/भण्डारी की भूमिका की विभागीय जांच कर जिम्मेदारी तय की जाए
🛑 यह घोटाला सिर्फ एक स्टॉप डैम का नहीं है – यह सिस्टम के सबसे कमजोर और भ्रष्ट कड़ी के खुलासे की शुरुआत है।
अब देखना यह है कि शासन सख्ती दिखाता है या फिर बोटी पाण्डेय को ‘पोस्टिंग की कीमत वसूलने’ की खुली छूट मिलती रहेगी।
“बोटी पाण्डेय” – नाम नहीं, भ्रष्टाचार की पहचान!

जहाँ भगवान पैसा हो, वहाँ नियम कानून बेमानी!
बस्तर जल संसाधन विभाग में कार्यपालन अभियंता वेद प्रकाश पाण्डेय को विभागीय कर्मचारी अब उनके असली नाम से कम और “बोटी पाण्डेय” के नाम से ज़्यादा पहचानते हैं।
वजह साफ है:
हर बड़े कार्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर (बोटी-बोटी कर) अपने करीबी ठेकेदारों, भाई और मित्रों को ठेका देना – ये उनकी पुरानी और जानी-पहचानी आदत बन चुकी है।
पांडेय का स्पष्ट बयान:
> “मुझे नाम से क्या लेना है, मेरा भगवान पैसा है। मंत्री जी को सेट कर लिया है, अब जो करना है पैसे से करना है!”
विभागीय सूत्र बताते हैं कि वेद प्रकाश पाण्डेय ने जगदलपुर में अपनी पोस्टिंग के लिए “आधा खोखा” खर्च कर राजनीतिक सेटिंग की थी, और अब उसी का रिटर्न सूद-ब्याज के साथ वसूल रहे हैं – स्टॉप डैम हो या एनीकट, टेंडर हो या मंजूरी, हर जगह पैसे की पूजा।
खुले तौर पर सभी कुछ न कहें, लेकिन विभाग में यह कहावत चल पड़ी है:
> “नाम वेद प्रकाश पाण्डेय… पर असली पहचान – बोटी पाण्डेय!”
माननीय मंत्री जी! “बोटी पाण्डेय” जैसे अफसरों से दूरी ही आपकी गरिमा की रक्षा है

जल संसाधन मंत्री श्री केदार कश्यप जी से विनम्र निवेदन है कि शासन की गरिमा और जनविश्वास बनाए रखने के लिए ऐसे कार्यपालन अभियंताओं से दूरी बनाए रखें, जो नियम-कानून को ताक पर रखकर, सत्ता संरक्षण के नाम पर खुलेआम भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
विभागीय सूत्रों के अनुसार वेद प्रकाश पाण्डेय खुलेआम कहते हैं:
> “मंत्री जी मेरे घनिष्ठ हैं, मैं जो भी करूं, वो मुझे कुछ नहीं कहेंगे। उनके सारे बिगड़े काम मैं ही करता हूं – पैसा नहीं कमाऊंगा तो क्या करूंगा!”
ऐसे अफसर जो “मेरा भगवान पैसा है” जैसी मानसिकता से काम करते हैं, वे न सिर्फ शासन की छवि धूमिल करते हैं, बल्कि आपकी व्यक्तिगत गरिमा और निष्ठा पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।
माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि ऐसे अफसरों की सूक्ष्म और निष्पक्ष जांच करवाई जाए — ताकि न तो आप पर उंगली उठे, और न ही जनता के बीच यह संदेश जाए कि सत्ता संरक्षण भ्रष्टाचार की ढाल है।