सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए सर्वोत्तम माना गया है। दरअसल सावन में सृष्टि के संचालन का कार्य भगवान शिव के हाथों में होता है। इसलिए इस महीने में रुद्राभिषेक का महत्व सबसे ज्यादा माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस महीने में भगवान शिव पहली बार अपनी ससुराल गए थे और ससुराल में उनका भव्य स्वागत किया गया। उनका जलाभिषेक भी किया गया।
मान्यता है कि हर वर्ष सावन मास में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं और यहीं से पूरे ब्रह्मांड की सत्ता का संचालन करते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंग में से किसी एक में जाकर रुद्राभिषेक करना सबसे अच्छा होता है। लेकिन अगर आप ज्योर्तिलिंग जाकर रुद्राभिषेक कर पाने में असमर्थ हैं तो अपने घर पर या फिर घर के पास ही किसी शिवालय में जाकर भी रुद्राभिषेक करके महापुण्य पा सकते हैं। ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी है कि सावन की किन तिथियों में रुद्राभिषेक करना आपके लिए सबसे लाभकारी होगा। आइए देखते हैं सावन के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में रुद्राभिषेक करने की सभी डेट्स।
सावन में रुद्राभिषेक करने के लाभ
0 इस महीने में भगवान शिव को जल अर्पित करने से वे विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं। रुद्राभिषेक, शिवभक्ति का उच्चतम स्वरूप है।
0 सावन में रुद्राभिषेक करने से संतान सुख, विवाह, नौकरी, धन, स्वास्थ्य, मानसिक शांति आदि सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
0रुद्राभिषेक से जीवन में फैले कष्ट, ग्रह दोष, बुरी नजर और रोगों का शमन होता है।
0 श्रावण में रुद्राभिषेक करने से सप्त जन्मों के पाप भी समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिलता है।
सावन 2025 शुक्ल पक्ष में रुद्राभिषेक की शिववास तिथियां
11 जुलाई – शुक्रवार, प्रतिपदा तिथि, सुखद
14 जुलाई – सोमवार, चतुर्थी तिथि, सुखप्रद
15 जुलाई – मंगलवार, पंचमी तिथि, अभीष्टसिद्धि
18 जुलाई – शुक्रवार, अष्टमी तिथि, सुखप्रद
21 जुलाई – सोमवार, एकादशी तिथि, सुखप्रद
22 जुलाई – मंगलवार, द्वादशी तिथि, अभीष्टसिद्धि
23 जुलाई – बुधवार, चुतर्दशी तिथि, शुभयोग
24 जुलाई – गुरुवार, अमावस्या तिथि, सुखप्रद
सावन 2025 कृष्ण पक्ष में रुद्राभिषेक की शिववास तिथियां
26 जुलाई – शनिवार, द्वितीया तिथि, सुखप्रद
29 जुलाई – मंगलवार, पंचमी तिथि, सुखप्रद
30 जुलाई -बुधवार, षष्ठी तिथि, अभीष्टसिद्धि
6 अगस्त – बुधवार, द्वादशी, सुखप्रद
7 अगस्त – गुरुवार, त्रयोदशी, अभीष्टसिद्धि