रावतपुरा कॉलेज का नया कारनामा: नियमों को ताक पर रखकर वसूली जा रही मोटी फीस! सरकार हमारी तो मर्जी और फीस भी हमारी की तर्ज पर वसूली।

रायपुर।
छत्तीसगढ़ में निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्रों से मनमानी फीस वसूली के गंभीर मामले लगातार सामने आ रहे हैं। अब रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय (धनेली, जिला रायपुर) पर गुपचुप तरीके से ₹1,20,000 प्रति वर्ष की फीस तय कराने का आरोप लगा है — वह भी उस निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के माध्यम से, जिसे इस प्रकार की फीस निर्धारण की कोई वैधानिक शक्ति नहीं है।

क्या है मामला?

दिनांक 20/09/2024 को निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा जारी पत्र क्रमांक: 10113/विविध/171/2019/20782 के माध्यम से रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय को बी.फार्मा कोर्स के लिए ₹1,20,000/- की वार्षिक फीस की स्वीकृति प्रदान की गई है।

जबकि वास्तविकता यह है कि—

> “सन 2008 से राज्य में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों (जैसे D.Pharma / B.Pharma / M.Pharma) की फीस तय करने का अधिकार केवल ‘प्रवेश तथा फीस विनियामक समिति’ को है, जो राज्य शासन द्वारा अधिकृत वैधानिक संस्था है।”

क्यों यह गंभीर है?

निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग को केवल संस्थानों की स्वीकृति, बुनियादी संरचना, पाठ्यक्रम संचालन आदि की निगरानी का अधिकार है, न कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की फीस निर्धारण का।

प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति ही एकमात्र संस्था है जो—

फीस निर्धारित करती है।

राज्य शासन को अनुमोदन हेतु भेजती है।

छात्रवृत्ति की राशि का निर्धारण करती है।

फीस निर्धारण में दोहरी व्यवस्था?

जानकारी के अनुसार, रावतपुरा संस्थान की पहुंच इतने उच्च स्तर तक है कि—

एक ओर प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति से भी फीस तय कराई जाती है।

दूसरी ओर निजी विश्वविद्यालय आयोग से अलग से ज्यादा राशि की स्वीकृति भी ले ली जाती है।

यानी एक ही विश्वविद्यालय की फीस दो अलग-अलग विभाग तय कर रहे हैं, और इसी आधार पर छात्रों से अनुचित व मोटी राशि वसूल की जा रही है।

प्रश्न यह उठता है कि—

जब आयोग को कोई अधिकार ही नहीं है, तो फीस स्वीकृति क्यों दी गई?

किसके दबाव में यह आदेश जारी हुआ?

इससे राज्य के अन्य संस्थान भी गलत संदेश ग्रहण कर सकते हैं।

मांग की जा रही है कि—

इस मामले की तत्काल न्यायिक व प्रशासनिक जांच कराई जाए।

रावतपुरा संस्थान को अवैधानिक फीस वसूली के लिए दंडित किया जाए।

आयोग द्वारा जारी आदेश को निरस्त किया जाए।

छात्रों से वसूली गई अतिरिक्त राशि लौटाई जाए।

⚠️ पहले भी उजागर हो चुकी हैं अनियमितताएं, पर कार्रवाई अब तक शून्य!

छत्तीसगढ़ नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल द्वारा जारी 01 अगस्त 2024 के आदेश में गंभीर अनियमितताओं की आशंका जताई गई थी, जिसमें भारतीय उपचर्या परिषद (I.N.C.) के मानकों के विपरीत कई अपात्र संस्थानों को पात्र बताकर मान्यता प्रदान की गई।

यह कोई पहली बार नहीं है —
इससे पूर्व भी नर्सिंग काउंसिल द्वारा मान्यता प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी, सिफारिश आधारित निरीक्षण रिपोर्ट, और भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। कई बार कोर कमेटी की स्कूटनी रिपोर्टों पर सवाल उठे हैं, और संस्थानों को नियम विरुद्ध लाभ पहुँचाया गया है।

 महत्वपूर्ण यह है कि इतने गंभीर मामलों के बावजूद आज तक कोई ठोस जांच या कार्रवाई नहीं हुई।

ना किसी दोषी निरीक्षणकर्ता पर दंडात्मक कार्यवाही हुई,

ना ही कोर कमेटी के सदस्यों की जवाबदेही तय हुई,

और ना ही अपात्र संस्थानों से मान्यता वापस ली गई।

❗ यह लचर प्रणाली और मिलीभगत न केवल छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है, बल्कि पूरे चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था की साख पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

अब सवाल यह है कि— क्या इस बार भी इन गड़बड़ियों पर परदा डाल दिया जाएगा, या होगी कोई ठोस कार्रवाई?

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