रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजनीति में आगामी 7 जुलाई बेहद अहम दिन साबित होने जा रहा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अपने एकदिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर राजधानी रायपुर पहुंच रहे हैं। इस दौरान वह साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित कांग्रेस की विशाल जनसभा ‘किसान–जवान–संविधान’ को संबोधित करेंगे और प्रदेश नेतृत्व के साथ रणनीतिक बैठक भी करेंगे। कांग्रेस के इस कार्यक्रम को भाजपा सरकार के खिलाफ एक राजनीतिक जवाबी हमला माना जा रहा है।
‘किसान-जवान-संविधान’ बनाम भाजपा की नीतियां
कांग्रेस का दावा है कि राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद से 17 जनकल्याणकारी योजनाएं बंद कर दी गई हैं, ₹37,000 करोड़ से अधिक का कर्ज, खाद–बीज की किल्लत, भर्ती में गड़बड़ी, अवैध शराब–रेत कारोबार और कानून-व्यवस्था की बदहाली जैसे मुद्दे तेजी से बढ़े हैं। कांग्रेस इस रैली को सिर्फ एक सभा नहीं, बल्कि इन मुद्दों के खिलाफ एक संगठित जनआंदोलन की शुरुआत बता रही है।
भव्य तैयारियों के साथ कांग्रेस मैदान में
खड़गे के दौरे को सफल बनाने प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत, पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे सहित वरिष्ठ नेता लगातार बैठकों में जुटे हैं। प्रदेश भर से कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए पांच समितियां बनाई गई हैं, जो मैराथन बैठकें कर तैयारियों को अंतिम रूप दे रही हैं।
राजनीतिक गर्मी: बीजेपी के हमले तेज
इधर, कांग्रेस की तैयारी के बीच भाजपा ने भी हमला बोलना शुरू कर दिया है। रायपुर सांसद सुनील सोनी ने कहा कि कांग्रेस में अंदरूनी गुटबाजी चरम पर है—“भूपेश, महंत, सिंहदेव सबकी अलग-अलग कांग्रेस है, खड़गे रिसर्च करने आए हैं कि असली कांग्रेस है कहां।” वहीं कैबिनेट मंत्री टंकाराम वर्मा ने तंज कसते हुए कहा कि “कांग्रेस ने जिन मुद्दों पर सभा रखी है, उन्हीं का सबसे ज़्यादा अपमान कांग्रेस ने किया है—चाहे वो आपातकाल हो या किसान आंदोलन।”
क्या खड़गे का दौरा बदलेगा कांग्रेस का ‘दौर’?
सियासी विश्लेषकों की मानें तो खड़गे का यह दौरा छत्तीसगढ़ कांग्रेस की रणनीतिक दिशा और आंतरिक एकजुटता को लेकर बेहद निर्णायक हो सकता है। एक ओर जहां कांग्रेस भाजपा सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की बुनियाद रखना चाहती है, वहीं भाजपा कांग्रेस की अंदरूनी कलह और गुटबाजी को उजागर करने में लगी है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या खड़गे की मौजूदगी कांग्रेस को एकजुट करने में सफल हो पाएगी, और क्या यह जनसभा भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के लिए राजनीतिक मजबूती का मंच बन पाएगी?