बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले में आरोपी बनीं महिला अधिकारी मधुरिमा शुक्ला को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। उन्होंने स्पेशल कोर्ट द्वारा तय किए गए आरोपों को चुनौती देते हुए आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दाखिल की थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।
‘अपराध से सीधा जुड़ाव’: हाईकोर्ट
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की एकलपीठ ने निर्णय में कहा कि स्पेशल कोर्ट द्वारा तय किए गए आरोपों में कोई त्रुटि नहीं है। रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि याची महिला का अपराध में सीधा संबंध है।
क्या है नान घोटाला?
छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार को लेकर एसीबी और ईओडब्ल्यू ने बड़ी कार्रवाई की थी। नान मुख्यालय समेत कई अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की गई, जिसमें पूर्व मैनेजर शिवशंकर भट्ट के पास 3.89 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति मिली।
मधुरिमा शुक्ला पर भी आरोप
जांच में पता चला कि शिवशंकर भट्ट की करीबी मानी जाने वाली मधुरिमा शुक्ला के पास भी 1.60 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जबकि उनकी घोषित आय मात्र 24 लाख रुपये है।
भ्रष्टाचार और साजिश के आरोप
स्पेशल कोर्ट ने मधुरिमा शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(E), 13(2) और आईपीसी की धारा 120-बी (षड्यंत्र) के तहत आरोप तय किए थे। इस आदेश को चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगाई, लेकिन अदालत ने उसे खारिज कर दिया, यह मानते हुए कि उनकी संलिप्तता के पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं।