PM मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से की बात, क्षेत्रीय तनाव को लेकर जताई गहरी चिंता,संवाद और कूटनीति ही किसी भी संकट का समाधान

दिल्ली। ईरान पर अमेरिकी हमले के बीच रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से टेलीफोन पर बातचीत की। दोनों नेताओं के बीच क्षेत्र में बढ़ते तनाव और हालिया घटनाक्रमों को लेकर गंभीर चर्चा हुई।प्रधानमंत्री मोदी ने इस बातचीत के बारे में जानकारी देते हुए ट्वीट किया, हमने वर्तमान स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। हालिया तनावों पर गहरी चिंता व्यक्त की।
तुरंत तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति को आगे बढ़ाने का आह्वान दोहराया, ताकि क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता शीघ्र बहाल हो सके। बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और आपसी सहयोग को प्राथमिकता देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से यह मानता रहा है कि संवाद और कूटनीति ही किसी भी संकट का समाधान हैं।

ईरान में हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव के बाद मसूद पेजेशकियन को नई जिम्मेदारी मिली है। इस संदर्भ में पीएम मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं भी दीं और भारत-ईरान संबंधों को और मजबूत करने की इच्छा जताई। यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब मध्य-पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें क्षेत्र में शांति की बहाली पर टिकी हैं।

अमेरिका के हमलों ने बढ़ाया खतरा: संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका के हमलों से गंभीर रूप से चिंतित हैं। अब इस बात का खतरा बढ़ रहा है कि इस्राइल-ईरान संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है। इसके नागरिकों, क्षेत्र और दुनिया के लिए भयावह परिणाम होंगे। मैं सदस्य देशों से तनाव कम करने का आह्वान करता हूं। कोई सैन्य समाधान नहीं है। आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता कूटनीति है।

पश्चिम एशिया में सैन्य हस्तक्षेप से बढ़ती है अस्थिरता: चीन
चीन की सरकारी मीडिया ने कहा कि अमेरिकी हमले एक खतरनाक मोड़ हैं। 2003 में इराक पर अमेरिकी आक्रमण का हवाला देते हुए सीजीटीएन के लेख में कहा गया है कि इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि मध्य पूर्व में सैन्य हस्तक्षेप अक्सर अनपेक्षित परिणाम उत्पन्न करते हैं। इनमें लंबे समय तक संघर्ष और क्षेत्रीय अस्थिरता शामिल है। इसलिए जरूरी है कि बातचीत को प्राथमिकता देते हुए संतुलित, कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाया जाए।

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