Vat Savitri purnima : कब है ज्येष्ठ पूर्णिमा 10 या 11 जून? जानिए सही तिथि, मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में प्रत्येक पूर्णिमा का अपना महत्व है। इसी तरह ज्येष्ठ मास में आने वाली पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि पर दक्षिण भारत के राज्यों में वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत भी रखा जाता है। जहां उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है तो वहीं ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट सावित्री व्रत महाराष्ट्र, गुजरात आदि में रखा जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति है। ऐसे में आइये जानते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 10 या 11 जून में से किस दिन रखा जाएगा और वट सावित्री व्रत कब होगा।

वट सावित्री पूर्णिमा व्रत कब है?
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही रखा जाता है। लेकिन इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि दो दिन लग रही है ऐसे में वट सावित्री पूर्णिमा व्रत और ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत को लेकर असमंजस की स्थिति है। ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि 10 जून को सुबह 11.36 बजे से 11 जून दोपहर 1.14 बजे तक लगेगी। उदया तिथि की वजह से ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 11 जून 2025 को रखा जाएगा जबकि परंपरा के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि जिस दिन लगती है उस दिन दोपहर में वट सावित्री पूर्णिमा व्रत की कथा की जाती है। ऐसे में वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 10 जून 2025 को रखा जाएगा।

ज्येष्ठ पूर्णिमा और वट सावित्री पूर्णिमा व्रत का मुहूर्त
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 10 जून 2025 को रखा जाएगा। इस दिन शाम 6.02 बजे तक अनुराधा नक्षत्र और दोपहर 1.45 बजे तक सिद्ध योग का संयोग बनेगा। इसी तरह 11 जून 2025 को ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा, जिस दिन संत कबीर जयंती भी है। इसके साथ ही इस दिन ज्येष्ठी योग भी प्रभाव में रहेगा। साथ ही साथ दोपहर 1.14 बजे तक ज्येष्ठा नक्षत्र और दोपहर 2.04 बजे तक साध्य योग का भी संयोग बनेगा। दान-पुण्य और स्नान ध्यान भी इसी दिन किया जाएगा।

ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि का महत्वज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इसके साथ ही ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने, सुबह विधि विधान से पूजा पाठ करने, दान पुण्य आदि करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। सत्यनारायण की कथा सुनी और सुनाई जाती है। इसके साथ ही पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत होती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन अपना ध्यान अधिक से अधिक पूजा पाठ में लगाना चाहिए। इस दिन किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए और तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए।

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