रामराज (उत्तर प्रदेश)।
कानपुर के एक हाई स्कूल से चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां मुस्लिम छात्राओं ने अपने शिक्षकों पर गंभीर भेदभाव और धमकी देने के आरोप लगाए हैं। छात्राओं का आरोप है कि उन्हें स्कूल में “पाकिस्तानी आतंकी” कहकर पुकारा जाता है। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब इन छात्राओं ने इसकी शिकायत की, लेकिन स्कूल प्रशासन ने कोई कार्रवाई करने के बजाय उल्टा उन्हें ही धमकाना शुरू कर दिया।
पीड़ित छात्राओं का कहना है कि एक शिक्षक और प्रिंसिपल ने न सिर्फ शिकायतों को नजरअंदाज किया, बल्कि कथित रूप से यह भी कहा कि, “गाजा और फिलिस्तीन में जो हो रहा है, वो सही है। तुम लोग आतंकी हो। हम तुम्हारे ट्रांसफर सर्टिफिकेट (TC) पर पुलिस की मुहर लगवा देंगे ताकि कोई स्कूल तुम्हें एडमिशन न दे सके।”
मुस्लिम समाज में गहरी नाराजगी
इस मामले के सामने आने के बाद स्थानीय मुस्लिम समाज में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यह न केवल धार्मिक आधार पर भेदभाव है बल्कि शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में नफरत फैलाने का गंभीर उदाहरण भी है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और समुदाय के नेताओं ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
मानवाधिकार संगठनों की नजर
घटना को लेकर मानवाधिकार संगठनों की भी नजर है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर जांच की मांग की जा रही है।
प्रशासन और शिक्षा विभाग की चुप्पी
अब तक शिक्षा विभाग या स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। अगर यह आरोप सही साबित होते हैं तो यह न केवल संविधान के मूल्यों का उल्लंघन है बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी एक गहरा धब्बा है।
भारत का संविधान सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है और किसी भी प्रकार का धार्मिक भेदभाव स्पष्ट रूप से गैरकानूनी है। इस मामले में निष्पक्ष जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई जरूरी है ताकि शिक्षा संस्थानों में समावेशिता और सम्मानजनक वातावरण बना रहे।