“दुर्ग RTO बना एजेंटों का अड्डा: शासन के नियमों की उड़ रही धज्जियां, अधिकारी मौन” “शासन की नीतियां फेल, दलालों का खेल: दुर्ग RTO में भ्रष्टाचार बेलगाम”

“डिजिटल इंडिया की जमीनी हकीकत: दुर्ग RTO में बिना एजेंट नहीं होता कोई काम”

“कानून ताक पर, एजेंटों की सरकार: दुर्ग RTO की चुप्पी पर सवाल”

दुर्ग, छत्तीसगढ़ | 4thPiller.com
दुर्ग स्थित क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) एक ऐसा स्थान है जहाँ से जिले की सम्पूर्ण परिवहन व्यवस्था नियंत्रित की जाती है। इस कार्यालय का उद्देश्य मोटर यान अधिनियम, 1988 (Motor Vehicles Act, 1988) के प्रावधानों के तहत वाहन पंजीकरण, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन फिटनेस, बीमा और प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र जैसी सेवाएं पारदर्शी और सरल तरीके से प्रदान करना है।

किन्तु वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है। RTO कार्यालय परिसर के बाहर अवैध एजेंटों की दर्जनों दुकानें वर्षों से संचालित हो रही हैं, जो शासन के स्पष्ट दिशा-निर्देशों और मोटर यान अधिनियम की धाराओं की खुली अवहेलना है।


शासन के नियम और उनकी धारा अनुसार अवहेलना

  1. मोटर यान अधिनियम, 1988 – धारा 213(1):
    परिवहन विभाग को अधिकार है कि वह मोटर यान से संबंधित सभी सेवाओं को नियंत्रित एवं नियमन करे, और भ्रष्टाचार या अनियमितता की स्थिति में सीधे कार्रवाई सुनिश्चित करे।
  2. छत्तीसगढ़ मोटर यान नियम, 1994 – नियम 35 एवं 36:
    केवल लाइसेंसशुदा एजेंट ही सीमित सेवाएं दे सकते हैं और वह भी परिवहन विभाग के अधीन पंजीकृत होकर। इसके बिना एजेंट सेवाएं नहीं दे सकते।
  3. RTI अधिनियम, 2005 – धारा 4(1)(c):
    जनता को हर प्रक्रिया की जानकारी देना प्रत्येक सरकारी विभाग की बाध्यता है, जिससे नागरिक बिना दलाल या एजेंट के स्वयं सेवाएं ले सकें।

इन सभी नियमों के बावजूद RTO कार्यालय के बाहर एजेंट बेखौफ होकर कार्य कर रहे हैं, और परिवहन विभाग इस पर मौन है।


जनता के बयान: भ्रष्टाचार का घेरा

  1. संजीव मिश्रा (ऑटो चालक):

“RTO ऑफिस के अंदर कोई सीधे बात नहीं करता, हमें मजबूरी में एजेंट के पास जाना पड़ता है। लाइसेंस बनाने में ₹500 की जगह ₹1500 वसूलते हैं।”

  1. प्रमिला साहू (घरेलू महिला):

“ऑनलाइन आवेदन का सिस्टम बताया नहीं जाता। एजेंट कहते हैं कि ‘बिना हमारी मदद के काम नहीं होगा।’ कौन विरोध करे?”

  1. नसीम फारूखी (सामाजिक कार्यकर्ता):

“यह एक संगठित भ्रष्टाचार है। जब अधिकारी कार्रवाई नहीं करते, तो शक होता है कि उन्हें इसका हिस्सा मिल रहा है।”


RTO अधिकारी की चुप्पी: जवाबदेही पर प्रश्नचिन्ह

RTO दुर्ग का दायित्व है कि वह:

RTO परिसर और आस-पास के क्षेत्र को एजेंट मुक्त बनाए,

नागरिकों को डिजिटल माध्यम से सेवा प्राप्ति के लिए जागरूक करे,

शिकायत निवारण तंत्र को सक्रिय बनाए,

और यदि कोई एजेंट अवैध रूप से कार्य कर रहा हो तो तत्काल पुलिस/प्रशासन के माध्यम से कार्रवाई करे।

लेकिन सूत्रों के अनुसार, दुर्ग RTO कार्यालय में पदस्थ अधिकारी इन एजेंटों की मौजूदगी से पूर्णतः अवगत हैं, फिर भी अब तक कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई, न ही कोई चेतावनी नोटिस या पुलिस कार्यवाही की सूचना सार्वजनिक डोमेन में है। यह स्थिति अधिकारी की निष्ठा, कार्य निष्पादन और शासन की मंशा के प्रति उपेक्षा को दर्शाती है।


शासन की मंशा Vs. ज़मीनी हकीकत

मुख्यमंत्री डिजिटल सेवा अभियान, जन सेवा केंद्र (CSC) और सड़क सुरक्षा सप्ताह जैसे अभियानों का उद्देश्य नागरिकों को सरल, भ्रष्टाचारमुक्त सेवा देना है, लेकिन दुर्ग RTO में यह मंशा एजेंटों की भीड़ में गुम हो चुकी है।


4thPiller.com की माँग और सिफारिशें

  1. दुर्ग RTO कार्यालय के बाहर संचालित अवैध एजेंटों के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज की जाए।
  2. RTO अधिकारी की जवाबदेही तय करते हुए उच्चस्तरीय जांच बैठाई जाए।
  3. नागरिकों को सेवाओं के डिजिटल साधनों के प्रति स्थायी जागरूकता अभियान चलाया जाए।
  4. एक लोक शिकायत निवारण पोर्टल/हेल्पलाइन स्थापित की जाए।

निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ शासन की पारदर्शी सेवा नीति, डिजिटल इंडिया अभियान और भ्रष्टाचारमुक्त व्यवस्था की परिकल्पना तभी साकार होगी जब ज़मीनी स्तर पर बैठे अधिकारी अपने दायित्व को गंभीरता से निभाएं। RTO दुर्ग की यह स्थिति प्रशासनिक निष्क्रियता और सुविधा शुल्क आधारित भ्रष्ट तंत्र का जीवंत उदाहरण बन चुकी है।

4thPiller.com आने वाले दिनों में इस विषय पर RTI डालकर विस्तृत जानकारी भी सार्वजनिक करेगा।

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