4thpiller.com डेस्क, संजू गुप्ता, कबीरधाम (छ.ग.)
जिले के लोक निर्माण विभाग (भा./स.) के कार्यपालन अभियंता कार्यालय से एक सनसनीखेज जानकारी सामने आई है। सूत्रों के अनुसार, विभाग के भीतर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए गोपनीय दस्तावेजों—जिनमें प्रोजेक्ट रिपोर्ट, बिल, वाउचर, निविदा प्रतियां व अन्य प्रशासनिक फाइलें शामिल हैं—को सुनियोजित ढंग से जलाने की तैयारी की जा रही है।

यह प्रयास न केवल सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को छुपाने की गंभीर साजिश है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ शासन के रिकॉर्ड रखरखाव और अभिलेख संरक्षण अधिनियमों का सीधा उल्लंघन भी है।

शासकीय अभिलेखों के संरक्षण संबंधी नियम व निर्देश:
छत्तीसगढ़ शासन एवं भारत सरकार द्वारा “Public Records Act, 1993” तथा “Chhattisgarh Government Office Manual” के तहत शासकीय अभिलेखों के संरक्षण, वर्गीकरण, संग्रहण और नष्ट करने की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है:
- कोई भी शासकीय अभिलेख बिना सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के नष्ट नहीं किया जा सकता।
- विभाग प्रमुख को यह सुनिश्चित करना होता है कि प्रत्येक दस्तावेज की संरक्षण अवधि पूरी हो और उसकी आवश्यकता की समीक्षा की जाए।
- रिकॉर्ड नष्ट करने के लिए विभागीय स्तर पर “Records Disposal Committee” का गठन आवश्यक होता है।
- कोई भी आर्थिक दस्तावेज (बिल, वाउचर, परियोजना रिपोर्ट आदि) कम से कम 5 से 10 वर्षों तक संरक्षित रखना अनिवार्य है।
कौन हैं जवाबदेह?
इस घोटालेनुमा प्रयास में निम्नलिखित अधिकारियों की जवाबदेही स्पष्ट रूप से बनती है:
संभावित कार्रवाई व दंड:
- लोक सेवक (अनुशासन) नियम 1965 के तहत विभागीय जांच।
- IPC की धारा 409, 201, 120B के तहत आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है (विश्वासघात, साक्ष्य नष्ट करना, आपराधिक साजिश)।
- EOW/ACB द्वारा जांच की सिफारिश।
- वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए AG (Audit) रिपोर्ट/वित्त विभाग जांच।
निष्कर्ष:
यदि समय रहते दस्तावेजों की जब्ती और जांच नहीं हुई, तो वर्षों से जारी संभावित भ्रष्टाचार के साक्ष्य हमेशा के लिए मिट सकते हैं। शासन को इस विषय में तत्काल संज्ञान लेकर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए।





4thPiller.com इस मामले की गंभीरता को समझते हुए आगामी दिनों में इस विषय पर और खुलासे करता रहेगा।