IFS अधिकारियों की संपत्ति हो अगर सार्वजनिक, तो सबसे ईमानदार कौन निकलेगा? पत्रकार की 17 वर्षों की रिपोर्टिंग का निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ में जब IAS और IPS अधिकारियों की संपत्ति सार्वजनिक हो चुकी है, तब सवाल यह उठना लाजमी है कि क्या IFS अधिकारियों को भी अपनी संपत्तियों का खुलासा नहीं करना चाहिए? अगर ऐसा हो, तो कौन से अधिकारी सबसे कम संपत्ति के साथ ईमानदारी की मिसाल बनेंगे?
पत्रकारिता अनुभव के आधार पर संभावित ‘ईमानदार IFS’ की सूची
17 वर्षों से वन विभाग पर बारीकी से रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि अगर IFS अधिकारियों की संपत्ति सामने आ जाए, तो जिन अधिकारियों की संपत्ति सबसे कम निकलेगी उनमें शीर्ष पर महिलाएं ही होंगी। उनके अनुसार:
महिला IFS अधिकारी जिनकी संपत्ति सबसे कम हो सकती है:
1. IFS सतोवीसा समजदार (बैच: 2010)
2. IFS प्रणिता पॉल (बैच: 2001)
3. IFS विजया रात्रे (बैच: 2011)
4. IFS ग्रिशमी चंद (बैच: 2020)
5. IFS शालिनी रैना (बैच: 2001)
पुरुष IFS अधिकारी जिनकी संपत्ति अपेक्षाकृत कम मानी जा रही है:
1. IFS वरुण जैन (बैच: 2017)
2. IFS अभिनव कुमार (बैच: 2021)
3. IFS शशिगानंदन (बैच: 2017)
4. IFS धमसिल गणवीर (बैच: 2013)
5. IFS अरुण प्रसाद पी (बैच: 2006)
यह सिर्फ अनुभवजन्य मूल्यांकन है, न कि कोई सरकारी सूची
इस विश्लेषण के लेखक खुद कहते हैं कि यह किसी वैधानिक या आधिकारिक दस्तावेज़ पर आधारित नहीं है, बल्कि वन विभाग से वर्षों की संवाद, रिपोर्टिंग और आंतरिक चर्चाओं का अनुभव है। इसलिए कोई अधिकारी यदि अपने नाम की इस सूची में मौजूदगी या क्रम को लेकर असहज महसूस करता है, तो यह उनका निजी मत हो सकता है, पर यह आकलन एक निष्पक्ष दृष्टिकोण से किया गया है।
‘हराम की कमाई से कब तक बचोगे?’ – भ्रष्ट अधिकारियों को चेतावनी
इस लेख का सबसे तीखा संदेश उन IFS अधिकारियों के लिए है, जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। लेखक स्पष्ट कहते हैं:
> “सिस्टम के नाम पर आप कब तक बचोगे? एक का हश्र तो देख ही लिया है… आगे-आगे देखो होता है क्या। पाप का घड़ा भरता ही है। जब ACB और EOW की नजरें तुम पर पड़ेंगी, तब ये हराम का पैसा तुम्हें नहीं बचा पाएगा।”
निष्कर्ष: संपत्ति का खुलासा अब IFS के लिए भी अनिवार्य हो
अगर IAS अफसर 30 वर्षों की सेवा के बाद भी 2–5 करोड़ की संपत्ति के साथ पारदर्शिता दिखा सकते हैं, तो IFS अधिकारियों को यह कदम उठाने से क्यों हिचकिचाहट हो? पारदर्शिता ही ईमानदारी की पहली सीढ़ी है, और यही वन विभाग में खोती जा रही भरोसे की बहाली का रास्ता है।
4thpiller.com के लिए शेख अब्दुल करीम