“तीन करोड़ की बोगस खरीदी, SDM का नोटिस धूल फांक रहा—प्रभारियों ने ‘कान में तेल’ डाला, जैसे ऐसे SDM कई आते जातें हैं!” जनता पूछ रही है—आख़िर किसकी सह पर हो रही धांधली?”

रिपोर्टर: संजू गुप्ता, ब्यूरो चीफ, कबीरधाम

कबीरधाम। जिले के पंडरिया ब्लॉक के तीन धान उपार्जन केंद्रों—कोदवागोड़ान, सरईसेत और बघर्रा में करोड़ों रुपये की बोगस धान खरीदी का खुलासा हुआ है। राजस्व, खाद्य विभाग और मंडी विभाग की संयुक्त जांच टीम ने तीनों केंद्रों पर भारी अनियमितताएं पकड़ी हैं। इस घोटाले की पुष्टि के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।

तीन उपार्जन केंद्रों पर गड़बड़ी

जांच रिपोर्ट के अनुसार, उपार्जन केंद्र कोदवागोड़ान में 8440 क्विंटल, सरईसेत में 497 क्विंटल और बघर्रा में 1906.28 क्विंटल धान की भौतिक कमी पाई गई। इन सभी केंद्रों पर ओवरऑल धान की मात्रा ऑनलाइन रिकॉर्ड में अधिक, लेकिन वास्तविक रूप से कम पाई गई।

1906.28 क्विंटल धान में 59 लाख से ज्यादा की गड़बड़ी

SDM ने जारी किया कारण बताओ नोटिस

बघर्रा उपार्जन केंद्र के प्रभारी को 18 मार्च 2025 को पंडरिया SDM संदीप ठाकुर द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। नोटिस के अनुसार, 1906.28 क्विंटल धान की कथित रूप से बोगस खरीदी की गई, जिसकी सरकारी कीमत लगभग ₹59,09,468 आंकी गई है। इस पर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने और दिशा-निर्देशों की अवहेलना का आरोप लगाया गया है।

कोदवागोड़ान केंद्र में 2.61 करोड़ का धान घोटाला!

SDM ने जारी किया कारण बताओ नोटिस

ऑनलाइन रजिस्टर में दिखाया गया: 33,328.46 क्विंटल धान

मौके पर उपलब्ध मिला: 24,888 क्विंटल

8440.46 क्विंटल धान की भारी कमी पाई गई

बोगस खरीदी से शासन को ₹2,61,65,426 का नुकसान

SDM ने जारी किया कारण बताओ नोटिस

अब तक कोई जवाब या कार्रवाई नहीं

SDM के आदेश का भी नहीं कोई असर

नोटिस मिलने के 15 दिन बाद भी संबंधित प्रभारी की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। न ही प्रशासन की ओर से कोई कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। इससे साफ है कि प्रशासनिक निर्देशों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है।

क्या कहते हैं नियम?

छत्तीसगढ़ राज्य में धान खरीदी मंडी अधिनियम और राज्य शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत यदि खरीदी में गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित पर विभागीय जांच, आर्थिक वसूली और आपराधिक प्रकरण दर्ज करने का प्रावधान है। बावजूद इसके इस मामले में अब तक सिर्फ नोटिस तक ही बात सीमित है।

प्रशासनिक लापरवाही या मिलीभगत?

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर अनियमितता बिना ऊँचे स्तर की मिलीभगत के संभव नहीं। यदि समय रहते जांच कर उचित कार्रवाई नहीं की गई तो यह भ्रष्टाचार की एक और मिसाल बनकर रह जाएगा।

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