गौर और तेंदुआ की मौत पर संवेदनशीलता से कार्य कर रहे DFO पंकज राजपूत, वन्यप्राणी संरक्षण नियमों के तहत हो रही सख्त कार्रवाई

महासमुंद, बागबाहरा। महासमुंद वनमण्डल के बागबाहरा परिक्षेत्र अंतर्गत खल्लारी वृत्त के कक्ष क्रमांक 182 PF में एक वयस्क गौर एवं एक नर बूँदी वाला तेंदुआ (चिता) का शव मिलने से वन विभाग में हड़कंप मच गया है। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि घटना स्थल पर शिकारीयों द्वारा करंट युक्त जाली बिछाकर इन वन्यप्राणियों को मौत के घाट उतारा गया है।

इस गंभीर घटना की सूचना मिलते ही महासमुंद वनमण्डलाधिकारी श्री पंकज राजपूत स्वयं मौके पर पहुंचे और संपूर्ण टीम के साथ घटनास्थल का मुआयना किया। श्री राजपूत ने वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम एवं NTCA (National Tiger Conservation Authority) की निर्धारित गाइडलाइन के तहत त्वरित एवं सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है।

क्या कहता है नियम:
वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 के अंतर्गत बाघ और गौर जैसे संरक्षित प्राणियों की हत्या एक गंभीर अपराध है, जिसके तहत आरोपियों को कठोर सजा का प्रावधान है। साथ ही, NTCA की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी बाघ की मृत्यु की स्थिति में पोस्टमार्टम, फॉरेसिंक जांच, मुआयना रिपोर्ट और अन्य प्रमाणों को विधिवत रिकॉर्ड किया जाना अनिवार्य होता है। इस प्रक्रिया की निगरानी वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में की जाती है।

DFO राजपूत की तत्परता और संवेदनशीलता:
श्री पंकज राजपूत इस पूरे मामले को अत्यंत संवेदनशीलता से ले रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ घटनास्थल पर तत्काल उपस्थिति दर्ज करवाई, बल्कि मौके पर वैज्ञानिक तरीके से प्रमाण संकलन की भी व्यवस्था की। श्रीमती सतोवीसा समजदार, मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) रायपुर के मार्गदर्शन में कार्रवाई को सुनिश्चित किया जा रहा है, जिससे जांच पारदर्शी और ठोस हो।

जांच की दिशा और अगली कार्यवाही:

  • घटनास्थल से बरामद करंट जाली जब्त कर ली गई है।
  • बाघ एवं गौर के शव को पोस्टमार्टम हेतु सुरक्षित किया गया है।
  • फॉरेंसिक टीम को सूचित किया गया है, जो साक्ष्य संग्रहण कर रही है।
  • आसपास के गांवों में संभावित संदिग्धों की पहचान हेतु पूछताछ शुरू हो चुकी है।
  • पूरे मामले की रिपोर्ट शासन स्तर पर भेजी जा रही है।

वन विभाग की गंभीरता और सख्त संदेश:
यह कार्रवाई यह स्पष्ट संकेत देती है कि वन्यप्राणियों के प्रति अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वनमंडलाधिकारी श्री पंकज राजपूत की सख्ती और त्वरित कार्रवाई से विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ आम नागरिकों में भी एक सकारात्मक संदेश गया है।

निष्कर्ष:
यह घटना निश्चित रूप से दुखद है, लेकिन इससे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि वन विभाग इसके प्रति संवेदनशील है और हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित की जा रही है। श्री पंकज राजपूत जैसे समर्पित अधिकारी के नेतृत्व में ऐसी घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण और न्याय सुनिश्चित किया जा रहा है।

(4thPiller.com के लिए विशेष रिपोर्ट)

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