गुरुघासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में 1.38 करोड़ का स्टॉपडेम घोटाला: IFS अधिकारी पर वन्यप्राणी क्षेत्र में अवैध निर्माण और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
रिपोर्ट: शेख अब्दुल करीम
| 4thPiller.com | मनेन्द्रगढ़
छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग स्थित गुरुघासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व से एक बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। IFS अधिकारी सौरभ सिंह ठाकुर, जो वर्तमान में टाइगर रिजर्व के संचालक हैं, पर आरोप है कि उन्होंने 1.38 करोड़ रुपये की राशि सात स्टॉपडेम के निर्माण के नाम पर आहरित कर ली, जबकि ज़मीनी हकीकत यह है कि उक्त कार्य या तो अधूरे हैं या शुरू ही नहीं हुए।

शिकायत के बाद शुरू हुआ आनन-फानन में कार्य
शिकायत मिलने के बाद, वन बल प्रमुख एवं PCCF श्री व्ही. श्रीनिवास राव ने IFS ठाकुर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। सौरभ ठाकुर द्वारा दिए गए जवाब में स्वयं यह स्वीकार किया गया कि स्टॉपडेम निर्माणाधीन हैं, फिर भी पूरा भुगतान कर दिया गया।
इसके बाद, अपनी गलती को छुपाने के लिए IFS ठाकुर ने वन्यप्राणी क्षेत्र में दिन-रात JCB, डंपर, ट्रैक्टर व अन्य भारी मशीनों के ज़रिये कार्य करवाना शुरू कर दिया, जिससे वन्यप्राणी एक्ट, NTCA गाइडलाइंस, और पर्यावरणीय संतुलन के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।
पर्यावरणीय नियमों की खुली धज्जियाँ
वन्यप्राणी क्षेत्र में कोई भी भारी वाहन, विशेषकर डीज़ल आधारित ध्वनि व प्रदूषण उत्पन्न करने वाले वाहन, वर्जित होते हैं। NTCA मैनुअल के अनुसार प्राकृतिक परिवेश को छेड़ना, गिरा पड़ा पेड़ उठाना या खनिज संसाधनों का उपयोग भी वर्जित है। बावजूद इसके IFS सौरभ ठाकुर पर निर्माणाधीन स्टॉपडेम में जंगल के भीतर से रेत, गिट्टी, मुरुम और यहाँ तक कि लकड़ी तक का इस्तेमाल करवाने के आरोप हैं।
गड़बड़ गुणवत्ता, घटिया सामग्री का उपयोग




शिकायतकर्ता के अनुसार, स्टॉपडेम निर्माण में मानकों की अनदेखी की गई है। कार्य में फ्लाई एश सीमेंट, कम गुणवत्ता की छड़ें, और आवश्यक गहराई व मजबूती को नजरअंदाज़ किया गया है। यह सभी प्रमाण फोटो, वीडियो और दिनांक सहित रिकॉर्ड किए गए हैं।
क्या “मैनेज” हो गया मामला?
सूत्रों की मानें तो जांच अधिकारी CCF मनोज पांडेय और PCCF (वन्यप्राणी) सुधीर अग्रवाल के बीच इस मामले को दबाने के लिए भारी आर्थिक लेनदेन हो चुका है। यही वजह है कि 25 दिन बाद भी कोई जांच प्रतिवेदन शासन को नहीं भेजा गया, न ही जाँच कराने में कोई रूचि लिए गई, न ही कोई किसी अधिकारी ने स्व-संज्ञान लेते हुवे स्थल जाँच में गए।
वहीं वनबल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव एवं PCCF वन्यप्राणी श्री सुधीर अग्रवाल के पास सौरभ ठाकुर द्वारा मुख्यालय में 4-5 बार चक्कर लगाने की बात भी संदेह पैदा करती है कि क्या इस पूरे प्रकरण को “मैनेज” कर लिया गया है?
शासन से मांग
शिकायतकर्ता अब्दुल सलाम कादरी ने इस प्रकरण में शासन से निम्नलिखित मांग की है:
IFS सौरभ ठाकुर को तत्काल निलंबित किया जाए
उनके विरुद्ध विभागीय जांच (DE Inquiry) स्थापित हो
सम्पत्ति की जांच की जाए
जांच में शिकायतकर्ता को शामिल किया जाए ताकि गोपनीय जानकारियाँ भी सामने लाई जा सकें
जांच प्रतिवेदन की एक प्रति शिकायतकर्ता को दी जाए
NTCA को भी भेजी गई शिकायत
यह शिकायत NTCA दिल्ली, नागपुर, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय व छत्तीसगढ़ वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को ईमेल के माध्यम से भेजी गई है। यदि इस मामले में जल्द कार्यवाही नहीं होती तो यह वन्यप्राणी सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक विश्वास तीनों पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
क्या कहता है कानून? – अभ्यारण्य क्षेत्रों में निर्माण और खनन पर नियम
1. NTCA दिशा-निर्देश (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण):
स्रोत: NTCA Guidelines under Wildlife (Protection) Act, 1972 (Amended 2006)
https://ntca.gov.in/assets/uploads/guidelines/Gazette-08-11-12.pdf

> टाइगर रिजर्व या कोर बफर ज़ोन में किसी भी निर्माण कार्य से पहले NTCA की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य है।
भारी यांत्रिक उपकरण जैसे JCB, डंपर, पोकलैंड आदि का उपयोग केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जा सकता है, वो भी अनुमति के बाद।
वन्यप्राणियों की आवाजाही और व्यवहार पर असर डालने वाले कार्यों पर रोक है।
2. FCA Act, 1980 (Forest Conservation Act):

स्रोत: Section 2 (iii), Forest Conservation Act, 1980स्रोत: Section 2 of FCA, 1980
स्रोत: Section 2 of FCA, 1980
> किसी भी प्रकार का रेत, मुरुम, गिट्टी या लकड़ी का दोहन बिना MoEF या राज्यस्तरीय समिति की अनुमति के अवैध है।
जंगल क्षेत्र में किसी भी निर्माण कार्य हेतु भूमि उपयोग परिवर्तन की अनुमति जरूरी होती है।
3. WLPA, 1972 (Wildlife Protection Act):

स्रोत: NTCA Protocol for Minimizing Disturbance in Tiger Habitats
> संरक्षित क्षेत्रों (अभ्यारण्य/राष्ट्रीय उद्यान) में कोई भी कार्य जिससे वन्यजीवों के आवास में व्यवधान हो, पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
गिरी पड़ी लकड़ी तक को नहीं हटाया जा सकता जब तक कि वैज्ञानिक कारण न हों।
4. डीजल और उच्च ध्वनि वाले वाहन:
स्रोत: Standard Operating Procedure (SOP) for Infrastructure Development in Tiger Reserves, NTCA



> टाइगर रिजर्व व अन्य संरक्षित क्षेत्रों में डीजल से चलने वाले या उच्च ध्वनि उत्पन्न करने वाले वाहनों का प्रयोग वन्यजीवों को प्रभावित करता है, जिससे उनके व्यवहार व रहवास में अवरोध उत्पन्न होता है।
NTCA और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा ऐसे वाहनों के सीमित और नियंत्रित उपयोग की सिफारिश की गई है।
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निष्कर्ष:
> संरक्षित क्षेत्रों में बिना अनुमति मुरुम-रेत खनन, बल्ली/लकड़ी का उपयोग व भारी वाहनों की आवाजाही न केवल वन्यप्राणियों को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि ये कई कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है।
अधिकारियों का वर्जन
CCF मनोज पाण्डेय

> “जांच रिपोर्ट जल्द पेश की जाएगी। देरी इसलिए हुई क्योंकि सौरभ ठाकुर द्वारा मार्च अकाउंट का हवाला देकर जांच हेतु आवश्यक अभिलेख हमें उपलब्ध नहीं कराए गए। जैसे ही AG को मार्च अकाउंट भेजने के बाद स्टॉपडेम से संबंधित वाउचर आदि मिलेंगे, जांच कार्यवाही पूर्ण कर प्रतिवेदन उच्च कार्यालय को भेज दिया जाएगा।”
PCCF (वन्यप्राणी) श्री सुधीर अग्रवाल

> संपर्क नहीं हो पाया।
वनबल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव

> फोन नहीं उठाया गया।