रायपुर/सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलने वाले बोनस वितरण में करोड़ों रुपए के गबन का मामला गरमा गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2021 और 2022 के सीजन में सरकार द्वारा जारी की गई बोनस राशि में व्यापक अनियमितताएं की गईं, जिसमें लगभग 6.5 करोड़ रुपए की नगद राशि का गबन होने की बात सामने आई है। इस मामले में एक वरिष्ठ वन अधिकारी की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।
इस प्रकरण को उजागर करने वाले शिकायतकर्ता श्री अब्दुल शेख करीम से जब BBC LIVE एवं 4thPiller के संवाददाता ने बातचीत की तो उन्होंने कई अहम बातें साझा कीं।
*“मैं सामाजिक कार्यकर्ता भी हूँ और पत्रकार भी” “मेरा काम ही हैं भ्रस्टाचार उजागर करना “ – *अब्दुल शेख करीम*


शिकायतकर्ता अब्दुल शेख करीम ने बताया, “मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता हूँ, और साथ ही पत्रकार भी। हमारी संस्था व हमारा नेटवर्क पूरे छत्तीसगढ़ में सक्रिय है। हमें डाक, कोरियर, गुमनाम पत्र, ईमेल और व्हाट्सएप जैसे माध्यमों से लगातार कई तरह की शिकायतें प्राप्त होती हैं। इनमें से जिन मामलों के साथ दस्तावेज़ी प्रमाण जुड़े होते हैं, उन्हें हम विधिवत संबंधित विभाग, सचिव, विभाग प्रमुख या ACB/EOW को जांच के लिए प्रेषित कर देते हैं।”
उन्हें जब यह पूछा गया कि तेंदूपत्ता बोनस घोटाले की जानकारी उन्हें कैसे मिली? उन्होंने बताया, “इस मामले से जुड़ी शिकायत और दस्तावेज हमें अलग-अलग माध्यमों से प्राप्त हुए थे, 20 दिसंबर को मुझें एक गुमनाम पत्र मिला था जिसपर सुकमा लघु वनोपाज संघ मर्यादित में करोड़ों का बोनस घोटाला एवं अन्य घोटाला कि बात कही गई थी जिसको मेरे द्वारा मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती ऋँचा शर्मा मैम एवं वनबल प्रमुख एवं PCCF श्री वही श्रीनिवास राव जी सहिंत मुख्य वन संरक्षक जगदलपुर श्री दुग्गा जी को भी ईमेल के माध्यम से प्रेषित कर दी गई थी, कुछ दिनों में दूसरा गुमनाम 780 पेज कि जानकारी आई उसमें तेंदुपत्ता बोनस में कैसे घपला किया गया था, जैसे ऑनलाइन से भुगतान किए जाने के भुगतान व नगद भुगतान के फर्जी जानकारी जिसे भुगतान बताकर DFO या लघु वनोपज संघ मर्यादित सुकमा में जमा किए गए अभिलेख थे, इस जानकारी को देख कर मेरे होश उड़ गए सोंचा अधिकारी इतने गंभीर संज्ञेय अपराध करके भी बड़ी दमदारी से रहतें हैं इन्हे शासन प्रशासन का कोई डर न सहीं पर भगवान का डर तो होना चाहिए, गरीब आदिवासी के हक़ हलाल मेहनत के पैसे को इस तरह लुटे हैं इन्हे सजा मिलनी चाहिए, बस ये दिमाग़ में आते ही मैंने सभी जानकारी ACB/EOW के कार्यालय को सौंप दिया। अन्य मामले जिनमे जानकारी अधूरी रहती हैं उम्मीद क्या तरीका अपनाने के सवाल पर श्री करीम ने बताया कि वैसे मामलों जिनमे दस्तावेज अधूरे होते हैं, उनके लिए हम सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी प्राप्त करते हैं। इसके बाद खुद स्थल निरीक्षण करके पड़ताल करते हैं। जब हमें ठोस जानकारी मिलती है कि कहीं गड़बड़ी हुई है, तभी हम विभागीय अधिकारियों या जांच एजेंसियों को रिपोर्ट भेजते हैं।”
“शिकायत मैंने की थी, कार्रवाई किसके आधार पर हुई इससे फर्क नहीं पड़ता”
हाल ही में पूर्व विधायक श्री मनीष कुंजाम द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहा गया कि उनके द्वारा की गई शिकायत के आधार पर कार्रवाई हुई है। इस पर जब अब्दुल शेख करीम से पूछा गया कि क्या वास्तव में उनकी शिकायत पर कार्रवाई हुई या मनीष कुंजाम की, तो उन्होंने कहा:


“देखिए, शिकायत मेरे द्वारा की गई थी – यह मैं स्पष्ट करता हूँ। रही बात कि मेरी ही शिकायत पर कार्रवाई हुई है या नहीं, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। मनीष कुंजाम जी कह रहे हैं कि उनकी शिकायत पर कार्रवाई हुई, तो वह उनका दावा है। लेकिन सच्चाई यह है कि चाहे कार्रवाई मेरी शिकायत पर हो या उनकी – इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सबसे अहम बात यह है कि हमारे लाखों आदिवासी भाइयों के मेहनत के हक को मारने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी जरूरी थी।”
“अधिकारियों को आदिवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति से कोई सरोकार नहीं”



अपनी पीड़ा साझा करते हुए अब्दुल शेख करीम ने कहा:
“बहुत तकलीफ होती है जब देखता हूँ कि जिन आदिवासियों के तन में ढंग के कपड़े नहीं, जो मुश्किल से एक वक्त का खाना जुटा पाते हैं – उनके हिस्से की सरकारी राशि को कुछ अधिकारी अपने निजी स्वार्थ के लिए हड़प लेते हैं। अशोक पटेल जैसे अधिकारी जो बस्तर से बाहर के हैं, उन्हें शायद आदिवासियों की तकलीफों से कोई वास्ता नहीं। लेकिन अफसोस की बात ये है कि इस लूट को अंजाम देने के लिए उन्होंने आदिवासी समुदाय के ही कुछ प्रबंधकों का इस्तेमाल किया। जिस तरह कुल्हाड़ी में पेड़ की लकड़ी लगाई जाती है ताकि उसी पेड़ को काटा जा सके, उसी तरह इस घोटाले में भी आदिवासियों का इस्तेमाल आदिवासियों को ही लूटने के लिए किया गया।”
क्या था मामला?
सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2021 और 2022 में तेंदूपत्ता संग्राहकों को जो बोनस राशि शासन द्वारा दी गई थी, उसका बड़ा हिस्सा नगद निकाला गया और वितरित नहीं किया गया। कई फड़ों में संग्राहकों को राशि का आंशिक भुगतान ही किया गया, जबकि कागजों में संपूर्ण वितरण दर्शाया गया। इस मामले में सुकमा वन मंडल के तत्कालीन डीएफओ अशोक कुमार पटेल को गिरफ्तार किया गया है।
अब आगे क्या?
जांच एजेंसियां अब इस पूरे प्रकरण की परतें खोल रही हैं। कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और बयान इकठ्ठा किए जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में और भी अधिकारियों पर शिकंजा कस सकता है।
https://www.bbclive.in
/
https ://www.4thPiller.com
इस पूरे मामले पर अपनी पैनी निगाह बनाए रखेगा और जैसे-जैसे जांच में नई जानकारियाँ सामने आएँगी, हम आपको अपडेट करते रहेंगे।