IFS अफसरों की बढ़ी धड़कनें ! स्टॉपडेम घोटाले पर ACB-EOW की जांच शुरू, तेंदुपत्ता बोनस घोटाला सुकमा कि तरह सूरजपुर कटघोरा मरवाही कोरबा, बिलासपुर, मुंगेली, कवर्धा वनमण्डल कि शिकायत में भी ताबड़तोड़ कार्रवाई के संकेत!

रायपुर/बैकुंठपुर। गुरुघासीदास टाइगर रिजर्व बैकुंठपुर में संचालक IFS सौरभ ठाकुर द्वारा 7 स्टॉपडेम के बिना निर्माण कराए 1.38 करोड़ रुपये आहरण के मामले में अब बड़ी प्रशासनिक हलचल तेज़ हो गई है।

विश्वसनीय सूत्रों की मानें, तो शिकायतकर्ता अब्दुल सलाम कादरी ने इस घोटाले के दस्तावेज़ी प्रमाणों के साथ ACB (Anti Corruption Bureau) और EOW (Economic Offences Wing) में विधिवत शपथ-पत्र के साथ शिकायत दर्ज करवाई है। सूत्र बताते हैं कि दोनों एजेंसियों ने इस मामले की प्राथमिक जाँच शुरू कर दी है, और सुकमा के तेंदूपत्ता बोनस घोटाले की तर्ज पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

अन्य वनमंडलों में भी गड़बड़ियों की बू…

ACB और EOW को मरवाही, कोरबा, कटघोरा, बिलासपुर, मुंगेली और सूरजपुर वनमंडलों से भी बड़ी संख्या में शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इन शिकायतों में बिना सामग्री सप्लाई के फर्जी बिल के माध्यम से राशि आहारण, बिना निर्माण के राशि आहारण, बिना कार्य कराए भुगतान, फर्जी मस्टर रोल, वन भूमि के दुरुपयोग, और मशीनरी का दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोप हैं।

सूत्रों के अनुसार, इन जिलों से जुड़ी शिकायतों में वन अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये के घोटाले सामने आने की संभावना है। यदि प्राथमिक जाँचों में आरोप सही पाए जाते हैं, तो सुकमा कि तरह ACB और EOW द्वारा ताबड़तोड़ छापेमारी और गिरफ्तारी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

विभाग में मची है खलबली

इन घटनाओं के बीच वन विभाग में हड़कंप की स्थिति है। कई अधिकारी अपने स्तर पर पुराने रिकॉर्ड और वाउचर की सफाई में लग गए हैं। वहीं, कुछ अधिकारियों द्वारा शिकायतकर्ता को ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाकर बदनाम करने की कोशिशें भी सामने आ रही हैं।

क्या होगी सरकार की अगली चाल ?

वन मंत्री केदार कश्यप और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के समक्ष अब स्पष्ट सवाल खड़ा हो गया है —
क्या छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार चलेगा या सुशासन?
क्योंकि अगर जाँच निष्पक्ष हुई, तो केवल सौरभ ठाकुर ही नहीं, बल्कि कई IFS अधिकारी इस जाँच की जद में आ सकते हैं।

ACB/EOW की नज़र अब वन विभाग की जांच टीम पर!

शिकायतकर्ता ने ACB व EOW को दी जानकारी:

 

बिना निर्माण हुए 1.38 करोड़ रुपये की राशि मार्च में ही समायोजित कर ली गई।

जांच अधिकारी CCF मनोज पाण्डेय की अध्यक्षता में गठित टीम बिना स्थल निरीक्षण के लौट गई।

आरोप: टीम ने केवल मौखिक मोहलत देकर “जल्दी निर्माण करा लेने” की सलाह दी और रेस्ट हाउस में पिकनिक मनाकर लौट गई।

शिकायतकर्ता के पास दिनांकवार वीडियो व फोटोज मौजूद हैं, जो ACB को सौंपे जा चुके हैं।

अब यदि संचालक सौरभ ठाकुर स्टॉपडेम बना भी लेते हैं, तब भी पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं कि राशि निकासी के समय कोई निर्माण नहीं था।

ACB/EOW की शुरुआती पड़ताल के बाद यदि शिकायतकर्ता के द्वारा दिए सबूत सहीं पाए जातें हैं तो बड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।

निष्कर्ष:

अब मामला केवल एक घोटाले तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक बड़े प्रशासनिक और नैतिक संकट का रूप लेता जा रहा है।
ACB और EOW की हर गतिविधि पर अब जनता, मीडिया और शासन की नज़रें टिकी हैं।
क्या अब वक्त आ गया है कि वन विभाग में भी एक बड़ी सफाई शुरू हो?

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