“सुकमा तेंदूपत्ता घोटाला: DFO अशोक पटेल गिरफ्तार, करोड़ों के बोनस की रकम हड़पने का आरोप, पूर्व विधायक ने कैंपा राव पर लगाए सनसनीखेज आरोप”

रायपुर/सुकमा।

छत्तीसगढ़ में करोड़ों के तेंदूपत्ता घोटाले में बड़ा एक्शन सामने आया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की संयुक्त टीम ने सुकमा के तत्कालीन डीएफओ और 2015 बैच के आईएफएस अधिकारी अशोक पटेल को गुरुवार सुबह रायपुर से गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि उन्हें रायपुर के एक बंगले से हिरासत में लिया गया और पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया जा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक अशोक पटेल पर वर्ष 2021-22 में तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलने वाले 6.54 करोड़ रुपए के बोनस को न वितरित कर गबन करने का आरोप है। न तो यह रकम मजदूरों के खातों में ट्रांसफर की गई और न ही नकद भुगतान हुआ। इस खुलासे के बाद सरकार ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था।

वन विभाग के मुखिया पर भी गंभीर आरोप

इस घोटाले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया है कि तेंदूपत्ता घोटाले में सिर्फ डीएफओ नहीं बल्कि वन विभाग के शीर्ष अधिकारी कैंपा राव की भी अहम भूमिका रही है। कुंजाम ने आरोप लगाया कि चुनावी चंदे और शिकायतें वापस लेने के लिए उन्हें मोटी रकम की पेशकश की गई थी।

उन्होंने यह भी बताया कि तेंदूपत्ता बोनस घोटाले की शिकायत उन्होंने ही सबसे पहले की थी, लेकिन इसके बाद उल्टा उनके घर पर भी छापे मारे गए। कुंजाम ने घोटाले को “आदिवासी शोषण” बताते हुए पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।

नक्सल क्षेत्र में आदिवासियों के भरोसे पर चोट

बस्तर संभाग का सुकमा जिला नक्सल प्रभावित क्षेत्र है, जहां तेंदूपत्ता संग्रहण आदिवासियों की आजीविका का मुख्य साधन है। राज्य सरकार हर वर्ष बोनस और चरण पादुका जैसी योजनाओं के माध्यम से आदिवासियों को आर्थिक मदद देती है, लेकिन इस घोटाले ने उनके विश्वास को झकझोर दिया है।

वहीं ACB-EOW की छापेमारी सुकमा, कोंटा और अब दोरनापाल तक पहुँच चुकी है। कई व्यापारियों, ठेकेदारों और विभागीय अधिकारियों के घरों पर दबिश दी गई है। सूत्रों के मुताबिक एजेंसी को कई अहम दस्तावेज और सबूत हाथ लगे हैं और जांच अब निर्णायक मोड़ पर है।

सरकारी प्रतिक्रिया का इंतजार

इस पूरे मामले में अब तक वन विभाग या राज्य सरकार के मंत्री की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, यह साफ होता जा रहा है कि सिर्फ निचले स्तर पर नहीं बल्कि उच्च अधिकारियों की संलिप्तता भी इस घोटाले में सामने आ सकती है।

वन विभाग में एक और बड़ा घोटाला, ACB-EOW की कार्रवाई और गिरफ्तारी संभव

 

गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में बिना निर्माण के 7 नालों का 1.38 करोड़ रुपये का भुगतान कर गबन किए जाने का गंभीर मामला उजागर हुआ है। मरवाही, सूरजपुर, कोरबा और बलरामपुर वन मंडलों में फर्जी बिलों के जरिए सामग्री खरीदी दिखाकर करोड़ों की हेराफेरी की गई है। इन मामलों में शिकायत के बाद ACB और EOW की प्रारंभिक जांच के बाद बड़ी कार्रवाई प्रस्तावित है। सूत्रों की मानें तो कभी भी छापेमारी और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। विभाग के कई IFS अधिकारी एजेंसियों के रडार पर हैं। हालांकि वनविभाग के मुख्यालय से मामले को संभालने कि कवायद जारी हैं, जिसके तहत विभागीय जाँच को रोका गया हैं जिससे कार्य को पूरा कराया जा सके व सामग्रीयों कि आपूर्ति कि जा सके।

 

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