भोपाल, 10 अप्रैल 2025 — मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से एक बड़ी और अहम खबर सामने आई है। बीते 20 सालों से जिन 127 लोगों पर प्रतिबंधित संगठन सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) का सदस्य होने का आरोप था, अब उन्हें अदालत ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने माना कि इन लोगों के खिलाफ कोई ठोस और पुख्ता सबूत नहीं है।
क्या था मामला?
27 से 29 दिसंबर 2001 के बीच राज्य के विभिन्न हिस्सों से इन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि यह सभी सिमी की एक बैठक में शामिल हुए थे, जो कि एक प्रतिबंधित संगठन है। इस कार्रवाई के दौरान भोपाल के श्यामला हिल्स, तलैया, गौतम नगर और हनुमानगंज थाना क्षेत्रों से कई लोगों को हिरासत में लिया गया। इनमें कुछ नाबालिग भी शामिल थे, जिनकी उम्र उस समय 10 से 15 वर्ष के बीच थी।
20 साल लंबी लड़ाई, 5 की हो चुकी है मौत
इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान करीब 5 आरोपियों की मौत हो चुकी है। बाकियों ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। अदालत में सरकार यह साबित नहीं कर सकी कि ये सभी सिमी के सक्रिय सदस्य थे। इसके चलते कोर्ट ने सभी को बाइज्जत बरी कर दिया।
क्या कहा कोर्ट ने?
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ कोई मजबूत साक्ष्य पेश नहीं कर सका। किसी के पास से आपत्तिजनक दस्तावेज या गतिविधि से जुड़ा प्रमाण नहीं मिला। ऐसे में इन सभी को दोषमुक्त किया जाता है।
अदालत का फैसला क्यों है अहम?
यह फैसला उन सैकड़ों परिवारों के लिए राहत की सांस की तरह है, जो पिछले दो दशकों से सामाजिक बदनामी और मानसिक पीड़ा झेलते आ रहे थे। इस केस में सरकार और पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी कई सवाल उठे हैं, क्योंकि निर्दोष लोगों को बिना ठोस सबूतों के गिरफ्तार किया गया और 20 सालों तक उन्हें अदालतों के चक्कर काटने पड़े।
बम ब्लास्ट केस से भी छूटे कुछ आरोपी
दिलचस्प बात यह है कि इन 127 लोगों में से 5 आरोपी 2008 के शाहकुंठ बम ब्लास्ट केस में भी नामजद थे। उनमें से 3 को पिछले महीने अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
“अब चैन से सो पाऊंगा” – एक आरोपी का बयान
रिटायर्ड बैंक कर्मचारी अब्दुल रज्जाक, जो इस केस के एक आरोपी थे, ने फैसले के बाद कहा, “हमने दो दशक तक सामाजिक बहिष्कार झेला। अब जाकर हमें न्याय मिला है। अब चैन से सो सकूंगा।”
न्याय के लिए संघर्ष जारी रहेगा – एडवोकेट शाहिद शेख़
मुस्लिम-न्यायिक मंच के प्रदेश अध्यक्ष और वकील शाहिद शेख़, जिन्होंने इस केस की पैरवी की, ने बताया कि अब तक वे 53 आरोपियों को रिहा करा चुके हैं। उनका कहना है, “हम बाकी 74 लोगों को भी इंसाफ दिलाकर रहेंगे।”