बस्तर में नक्सलियों की कमर टूटी: 15 महीने में 400 ढेर, बड़े नेता फरार

छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सली आतंक का लंबे समय तक दबदबा रहा, लेकिन अब हालात तेजी से बदल रहे हैं। बस्तर में नक्सली सफाया का जो अभियान पिछले 15 महीनों में चला है, उसने नक्सलियों की रीढ़ तोड़ दी है। इस दौरान 400 से अधिक नक्सली मारे गए हैं, जबकि 800 से ज्यादा ने आत्मसमर्पण किया है।

2010 में हुए ताड़मेटला हमले की 15वीं बरसी पर जब देश ने 76 शहीद जवानों को याद किया, तब यह साफ हुआ कि अब नक्सलियों का वह नेटवर्क बिखर चुका है। करोड़ों के इनामी नक्सली हिड़मा, गणेश उइके और गुडसा उसेंडी जैसे बड़े नेता अब बस्तर छोड़कर आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा जैसे राज्यों में छिपे हुए हैं।

नक्सलियों के हमले का टीसीओसी (TCOC) सीजन जो कभी सुरक्षा बलों के लिए खतरनाक साबित होता था, अब उनके लिए घातक बन चुका है। इसी सीजन में बड़ी संख्या में नक्सली मारे जा रहे हैं।

बस्तर आईजी सुंदरराज पी. के मुताबिक, अब नक्सलियों का जनाधार खत्म हो रहा है। जनता सुरक्षाबलों के साथ है और विकास चाहती है। सुरक्षा कैंपों की बढ़ती मौजूदगी से नक्सलियों की शरणस्थली उजड़ चुकी है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार, देश में अब केवल 6 जिले गंभीर रूप से नक्सल प्रभावित हैं। सरकार का लक्ष्य 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करना है। यह कहना गलत नहीं होगा कि बस्तर में नक्सली सफाया अब अंतिम चरण में है।

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