बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सीतानादी उदंती टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक श्री वरुण जैन को आदेश दिया है कि वह याचिकाकर्ता एम. आर. साहू के GPF (जनरल प्रोविडेंट फंड) के पार्ट फाइनल भुगतान को 25 दिनों के भीतर जारी करें। इसके साथ ही, याचिकाकर्ता के 9 माह के अवैध वेतन कटौती के मामले में राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

मामले का विवरण
एम. आर. साहू, जो कि उदंती सीतानादी टाइगर रिजर्व में सहायक संचालक के रूप में कार्यरत हैं, ने अपने GPF के आंशिक निकासी के लिए एक वर्ष पूर्व आवेदन किया था। इस भुगतान में अनावश्यक देरी और 9 माह के वेतन कटौती को लेकर उन्होंने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्री मनोज परांजपे एवं सुश्री अनुष्का शर्मा ने पैरवी की, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने अपनी बच्चियों की शिक्षा के लिए GPF की मांग की थी, जो अब तक स्वीकृत नहीं हो सकी। वहीं, बिना सक्षम अधिकारी के आदेश के वेतन रोका जाना नियमों के विरुद्ध है और यह अनुशासनहीनता का मामला है।
उपनिदेशक ने कोर्ट में क्या कहा?
उपनिदेशक वरुण जैन ने न्यायालय को बताया कि GPF भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और यह 25 दिनों के भीतर जारी कर दिया जाएगा, बशर्ते कोषागार (ट्रेजरी) से स्वीकृति प्राप्त हो जाए।
न्यायालय का कड़ा रुख
न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य सरकार से सवाल किया कि किस आधार पर याचिकाकर्ता के वेतन को 9 माह तक रोका गया?
अदालत ने स्पष्ट किया कि बिना सक्षम अधिकारी के आदेश, विभागीय जांच या अनुशासनात्मक कार्रवाई के, किसी भी कर्मचारी का वेतन रोका नहीं जा सकता।
इस संबंध में राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
क्या कहते हैं नियम?
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि किसी भी सरकारी कर्मचारी का वेतन रोकने के लिए विभागीय जांच और सक्षम प्राधिकारी के आदेश की आवश्यकता होती है। बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के वेतन रोका जाना अवैधानिक है और इस पर प्रशासन को जवाब देना होगा।
आगे की कार्रवाई
अब इस मामले में राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करना होगा, जिसके बाद न्यायालय आगे की कार्रवाई करेगी। वहीं, याचिकाकर्ता का GPF भुगतान 25 दिनों में जारी होने की उम्मीद है।
(बिलासपुर हाईकोर्ट से विशेष रिपोर्ट)