रायपुर / दुर्ग :
वन विभाग में शासनादेशों की अवहेलना और भ्रष्टाचार के खेल के आरोप गंभीर रूप ले चुके हैं। दुर्ग के DFO चंद्रशेखर परदेशी ने रेंजर पी.के. तिवारी के ट्रांसफर को रोक कर, उनके भुगतान पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम न उठाने का आरोप उठाया जा रहा है। इस संदर्भ में हमारे PCCF एवं वन बल प्रमुख एवं वन मंत्री से अपील की जा रही है कि तिवारी द्वारा वन मंडल में जमा किए गए सभी भुगतान से जुड़े व्हाउचर का भुगतान तुरंत रोका जाए।


मामला का सारांश:
- रेंजर पी.के. तिवारी का ट्रांसफर:
17 जनवरी 2025 को तिवारी को वर्किंग प्लान डिवीजन, दुर्ग से पदोन्नति के उपरांत जगदलपुर उड़न दस्ता में भेजा गया था। लेकिन तिवारी ने जगदलपुर जाने से इनकार कर दिया। - CCF मैच्चियों ने मुख्यालय को लिखा पत्र : CCF दुर्ग ने पत्र क्रमांक 1791 दिनांक 11.03.2025 को वन मुख्यालय को पत्र के भेजा गया जिसमें श्री तिवारी को अग्नि सीजन, अन्य विभागीय कार्यों एवं वित्तीय माह होने का हवाला देते हुवे पत्र लिखा गया था कि श्री तिवारी के जगदलपुर स्थानांतरण को रद्द किया जाए।
- CCF दुर्ग का दबाव:
CCF दुर्ग, श्री मैच्चियो ने APCCF अराज प्रशासन को पत्र लिखकर तिवारी का ट्रांसफर रद्द करने की सिफारिश की। प्रशासनिक दबाव में, DFO दुर्ग ने तिवारी को रिलीव नहीं किया और जो कर्मचारी भारमुक्ति उपरांत वनमंडल का कर्मचारी ही नहीं हैं उससे रेंजरी करा रहें हैं और तो और नियमानुसार उन्हें चेक/धनादेश नहीं दिया जा सकता वह भी दिया जा रहा हैं, जो कि विभाग के लिए एक बहुत बड़ी गलती हैं, बावजूद उसके जनवरी व फरवरी के वेतन भी जारी कर दिया गया, अब मार्च का वेतन भी देने कि कोशिश कि जाएगी।

- शासनादेश की अवहेलना:
नियमानुसार, यदि कोई अधिकारी 15 दिनों के भीतर नई पोस्टिंग जॉइन नहीं करता है, तो उसकी पदोन्नति स्वतः निरस्त मानी जाती है। फिर भी तिवारी को रोक कर रखा गया है, जिससे सवाल उठता है कि क्या यह सिर्फ सुरक्षित भ्रष्टाचार के लिए गणित किया जा रहा है?

- CCF के मनसूबे में APCCF ने फेरा पानी : – CCF दुर्ग श्री मैच्चियो ने APCCF अराज प्रशासन को पत्र लिखकर तिवारी के ट्रांसफर को रद्द करने की सिफारिश कर दी। हालांकि, APCCF ने इस साजिश को नाकाम कर दिया और CCF दुर्ग को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे तुरंत तिवारी को रिलीव करें।
- पेमेंट पर रोक की अपील:
वन विभाग के प्रताड़ित कर्मचारियों कि माने तो उन्होंने PCCF एवं वन बल प्रमुख तथा वन मंत्री से अपील है कि तिवारी द्वारा वन मंडल में जमा किए गए सभी व्हाउचर, चाहे वह बैक डेट में जमा किए गए हों या किसी भी दिनांक में जमा किए गए हों, वो लाखों के प्रमाणक जमा किए हैं उनका भुगतान तत्काल रोक दिया जाए। यदि उनको भुगतान जारी रहता है, तो ये आरोप सिद्ध हो जाएंगे कि दुर्ग DFO (2020 के IFS) और CCF मैच्चियों (2006 के IFS) ने प्रशासनिक आदेशों का उल्लंघन कर भ्रष्टाचार के खेल में नए अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है।
आरोप और अपेक्षाएँ:
- ईमानदारी की कसौटी:
यदि इस मामले में दुर्ग DFO श्री परदेशी के द्वारा ईमानदारी से रेंजर श्री तिवारी को तुरंत रिलीव नहीं किया जाता और वित्तीय आदेश (धनादेश) जारी किए जाते हैं, तो यह साफ सिद्ध हो जाएगा कि DFO परदेशी भी दुर्ग CCF मैच्चियों के दबाव या भ्रष्टाचार के खेल में शामिल हैं। - आंदोलन की मांग:
प्रशासन और शासन से अपेक्षा की जा रही है कि वे इस मामले की सख्ती से जांच करें और दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई करें। तभी वन विभाग में पारदर्शिता और सुशासन सुनिश्चित हो सकेगा।
यह मामला न केवल रेंजर पी.के. तिवारी के ट्रांसफर में हो रहे अनुचित हस्तक्षेप को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार की ट्रेनिंग देकर नए अधिकारियों को गलत दिशा में क्यों धकेला जा रहा है।
क्या छत्तीसगढ़ सरकार इन आरोपों का संज्ञान लेकर सही कदम उठाएगी?
इस मामले में उच्च अधिकारीयों का सटीक और निष्पक्ष फैसला वन विभाग की विश्वसनीयता पर गहरा प्रभाव डालेगा।
(समाचार स्रोत: वन विभाग के अंदरूनी सूत्र एवं संबंधित अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार रिपोर्ट)
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