इस्लाम में फ़रिश्तों (मलायका) को अल्लाह तआला की बड़ी और ताक़तवर मख़लूक़ (सृष्टि) माना जाता है। उनकी शक्ल और सूरत कैसी है, यह केवल अल्लाह ही जानता है। उनकी संख्या इतनी अधिक है कि इंसान उनकी गिनती भी नहीं कर सकता।
फ़रिश्तों की विशेषताएँ
फ़रिश्ते न तो कुछ खाते-पीते हैं और न ही इंसानों की तरह किसी आवश्यक चीज़ की ज़रूरत होती है। अल्लाह तआला ने उन्हें खास तौर पर अपनी इबादत और फरमांबरदारी के लिए बनाया है। लाखों फ़रिश्ते दिन-रात अल्लाह की तस्बीह और उसकी तारीफ़ बयान करते रहते हैं। वे बिना रुके, बिना थके उसकी इबादत में लगे रहते हैं।
फ़रिश्तों की ज़िम्मेदारियाँ
फ़रिश्तों को दुनिया के विभिन्न कामों के लिए नियुक्त किया गया है। अल्लाह तआला अपने हुक्म से उनके ज़रिए दुनिया के काम पूरे करवाता है। उनमें से कुछ फ़रिश्ते इंसानों की निगरानी करते हैं, कुछ रोज़ी और बारिश जैसी चीज़ों का इंतज़ाम करते हैं, जबकि कुछ क़यामत के दिन इंसानों के हिसाब-किताब के लिए नियुक्त हैं।
सबसे मशहूर फ़रिश्ता – हज़रत जिब्रील (अलैहिस्सलाम)
सबसे बड़े और मशहूर फ़रिश्ते हज़रत जिब्रील (अलैहिस्सलाम) हैं, जिन्हें अल्लाह के संदेश (वही) को नबियों तक पहुँचाने की ज़िम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने अल्लाह के आखिरी नबी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के पास कुरआन मजीद की आयतें लेकर आए।
फ़रिश्ते और इंसान
जब कोई इंसान अल्लाह की इबादत करता है, तो फ़रिश्ते उसके आसपास जमा होकर उसकी मग़फिरत और रहमत के लिए दुआ करते हैं। वे अल्लाह के आदेशों को बिना किसी संदेह और देरी के पूरा करते हैं।
निष्कर्ष
फ़रिश्ते अल्लाह तआला की एक महत्वपूर्ण और ताक़तवर मख़लूक़ हैं, जो दिन-रात उसकी इबादत में लगे रहते हैं और उसकी मर्ज़ी से सृष्टि के विभिन्न कार्यों को अंजाम देते हैं। उनका वजूद इंसानों के लिए ईमान और आस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि वे अल्लाह के आदेशों को इस दुनिया में लागू करने का ज़रिया हैं।