नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2025 की तारीखें नजदीक आते ही देशभर में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीतियाँ तेज कर दी हैं, बड़े नेता ताबड़तोड़ रैलियाँ कर रहे हैं और चुनावी वादों की बौछार हो रही है।
भाजपा का मिशन 400 पार
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बार “400 पार” का नारा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह लगातार देश के विभिन्न राज्यों में रैलियाँ कर रहे हैं। मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए भाजपा ‘डबल इंजन सरकार’ का लाभ गिनाने में जुटी है। प्रधानमंत्री ने हाल ही में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में विशाल जनसभाएँ कीं, जहाँ उन्होंने विकास, राष्ट्रवाद और भ्रष्टाचार मुक्त शासन को चुनावी मुद्दा बताया।
कांग्रेस का ‘न्याय यात्रा’ और महंगाई पर हमला
कांग्रेस पार्टी इस बार महंगाई, बेरोजगारी और लोकतंत्र की रक्षा को मुख्य चुनावी मुद्दा बना रही है। राहुल गांधी की ‘न्याय यात्रा’ को जनता से अच्छा समर्थन मिल रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि “यह चुनाव संविधान और लोकतंत्र को बचाने का चुनाव है।” कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर उनकी सरकार बनी तो न्यूनतम आय योजना (NYAY) के तहत गरीबों को हर महीने आर्थिक सहायता दी जाएगी।
तीसरा मोर्चा: क्षेत्रीय दलों का शक्ति प्रदर्शन
इस बार क्षेत्रीय दल भी पूरे दमखम के साथ मैदान में हैं। समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बीआरएस और डीएमके जैसे दलों ने भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
- ममता बनर्जी बंगाल से बाहर निकलकर अन्य राज्यों में गठबंधन की संभावनाएँ तलाश रही हैं।
- अरविंद केजरीवाल ‘दिल्ली मॉडल’ को राष्ट्रीय स्तर पर पेश कर रहे हैं और शिक्षा-स्वास्थ्य को मुख्य मुद्दा बना रहे हैं।
- अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव ने मिलकर यूपी-बिहार में भाजपा को घेरने की योजना बनाई है।
चुनावी घोषणाएँ: कौन क्या वादा कर रहा?
पार्टीमुख्य वादेभाजपा ‘विकसित भारत’ विज़न, उज्ज्वला योजना का विस्तार, नए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स कांग्रेस न्यूनतम आय योजना (NYAY), 10 लाख सरकारी नौकरियाँ, सस्ता पेट्रोल-डीजल आप फ्री बिजली-पानी, शिक्षा-स्वास्थ्य सुधार, भ्रष्टाचार मुक्त शासन सपा-राजद सामाजिक न्याय, पिछड़ों-दलितों के लिए विशेष योजनाएँ
अगले कुछ हफ्ते निर्णायक
राजनीतिक दलों की लगातार हो रही घोषणाएँ और बढ़ती चुनावी हलचल यह संकेत दे रही हैं कि आने वाले हफ्तों में सियासी पारा और चढ़ेगा। सभी दल अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में लगे हैं। जनता का मूड किस ओर जाएगा, यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।
क्या इस बार कोई नया गठबंधन सत्ता में आएगा या भाजपा अपनी सत्ता बरकरार रखेगी? यह देखना दिलचस्प होगा।
(4thPiller.com के लिए विशेष रिपोर्ट)