छत्तीसगढ़ के वन विभाग में भ्रष्टाचार की गंभीर स्थिति सामने आ रही है। नए IFS अधिकारियों को ‘प्रैक्टिकल बनो, प्रैक्टिकल रहो’ के नाम पर भ्रष्टाचार सिखाया जा रहा है। यह एक गहरी साजिश प्रतीत होती है, जिसमें सीनियर अधिकारी खुद नए अधिकारियों को गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं।
वरिष्ठ IFS अधिकारियों से विनम्र अपील: नए IFS/DFO को स्वतंत्रता और अवसर दें
हम छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ IFS अधिकारियों से विनती करते हैं कि वे अपने अधीनस्थ नए IFS/DFO अधिकारियों को ईमानदारी से कार्य करने के लिए स्वतंत्रता और प्रोत्साहन दें। उन्हें अपनी काबिलियत सिद्ध करने और छत्तीसगढ़ के वनों के लिए नए विचार और योजनाएं लागू करने का अवसर मिलना चाहिए।
✅ नए अधिकारियों को कम से कम 3 साल का समय दें ताकि वे अपनी योजनाओं को सही दिशा में ले जा सकें।
✅ ‘प्रैक्टिकल बनो, प्रैक्टिकल रहो’ के बजाय उन्हें वास्तविक प्रबंधन सीखने दें, जिससे वे अपनी ऊर्जा और क्रिएटिव माइंडसेट का सही उपयोग कर सकें।
✅ वन, पर्यापारण, वन्यजीव और वन संरक्षण में उनका योगदान पहचानें, उनकी योग्यता का आकलन करें और उनका उचित मार्गदर्शन करें।
हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि निचे दिए गए वरिष्ठ IFS अधिकारियों पर हमारा भ्रष्टाचार का कोई सीधा आरोप नहीं है और न ही हम इनपर आरोप लगा रहें हैं । परंतु, कुछ अधिकारियों की भ्रष्ट आचरण एवं ढुलमूल रवैय्या तथा गलत नीतियों के कारण पूरा IFS वर्ग बदनाम हो रहा है। इसलिए, यह आत्ममंथन का एक प्रयास है, ताकि वन विभाग की कार्यशैली में सुधार लाया जा सके।






मुख्यमंत्री एवं वन मंत्री के संज्ञान में यह तथ्य लाना आवश्यक
हम छत्तीसगढ़ शासन के मुख्यमंत्री एवं वन मंत्री से अपील करते हैं कि वे इस विषय पर संज्ञान लें, क्योंकि यह केवल विभागीय भ्रष्टाचार का मामला नहीं, बल्कि शासन की छवि को धूमिल करने का भी प्रयास है।
- मुख्यमंत्री एवं वन मंत्री या उनके बंगलों/PA का नाम लेकर भ्रष्टाचार का खेल
- वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा यह कहा जा रहा है कि “यह मंत्री जी के आदमी हैं, यह सांसद जी के परिचित हैं, यह सीएम बंगले से जुड़े हैं,” इसलिए इन्हें काम दिया जाए।
- ऊपर से निर्देश के नाम पर नए IFS अधिकारियों को दबाव में रखा जाता है।
- इससे यह आभास होता है कि प्रशासनिक निर्णय सुशासन की बजाए सिफारिश और प्रभाव पर आधारित हो रहे हैं।
- VIP ठेकेदारों की मनमानी और वन विभाग का भ्रष्टाचार
- ठेकेदार खुलेआम अधिकारियों को बताते हैं कि वे “ऊपर” 25-30% देकर आए हैं, इसलिए बाकी लोगों को भी एडजस्ट करना होगा।
- गुणवत्ता की अनदेखी करते हुए बार्बेड वायर, चैनल लिंक जाली, फेंसिंग पोल जैसी सामग्रियों की धांधली हो रही है।
- वन मण्डलों में विभागीय एवं कैम्पा मद से निर्माणाधीन WBM रोड़, तालाबों, गोदामों, बाउंड्रीवाल इत्यादि का ठेका भी विवादास्पद बना रहता है, उसमें भी बिना कार्य के राशि भुगतान कर दिया जाता है, छोटे कर्मचारियों से बिना काम हुवे व्हाउचरों में दस्तखत करने के दबाव रहता है, DFO बोलतें हैं कि सीधे हस्ताक्षर करो नहीं तो ठेकेदार को बता दिया जाएगा तब तुम निपटना, जानते हो न कि ये ठेकेदार किसका आदमी हैं, इस तरह दबाव से कार्य कराए जातें हैं इसका भी जाँच आवश्यक हैं।
- VIP सप्लायर इतने प्रभावशाली हैं कि DFO को ऑफिस में उनके स्वागत के लिए इंतजार करना पड़ता है, इस दौरान वे सामान्य आमजनता एवं वनकर्मी तथा पत्रकारों से भी नहीं मिलते, उसके लिए लोगो को घंटो VIP सप्लायार के जाने का इंतिजार करना पड़ता हैं।
- जो अधिकारी ईमानदार हैं, उन्हें लूप लाइन में डाला जा रहा
- नए अधिकारी जो भ्रष्टाचार का हिस्सा नहीं बनना चाहते, उन्हें मुख्यालय में फाइलों की धूल झाड़ने के लिए मजबूर कर दिया जाता है।
- सीनियर अधिकारी खुलेआम कहते हैं कि “यह तुम्हारे भविष्य के लिए जरूरी सीख है।”
वनमडालाधिकारी बिना काम कराए मार्च में बजट समाप्त कर रहें हैं।
कुछ वनमडालाधिकारी मार्च में बजट समाप्त होने के डर से अधीनस्थ वनमण्डल में सड़क किनारे, नदी तट एवं ब्लॉक वृक्षारोपण के गड्डे व फेंसिंग हुवे बिना राशि आहारण कर लिया गया हैं, वह भी ट्रेक्टर से गड्डे कराकर मजदूरों के नाम प्रमाणक बनाकर अपने रिश्तेदारों क एकाउन्ट में राशि डाली जा रही हैं।
विभागीय एवं कैम्पा के रोड़ बाउंड्री वाल, बिल्डिंग, नाला, गेवियन जाली, स्टॉपडेम इत्यादि क बिना कार्य कराए मार्च में राशि बुक किया जा रहा हैं।
मुख्यमंत्री एवं वन मंत्री को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए
हम छत्तीसगढ़ शासन से अपील करते हैं कि—
✅ वन विभाग के अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री एवं वन मंत्री के नाम का दुरुपयोग रोका जाए।
✅ इस पूरे भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच करवाई जाए।
✅ नए IFS अधिकारियों को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए कठोर प्रशासनिक कदम उठाए जाएं।
✅ ईमानदार अधिकारियों को संरक्षण दिया जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
अगर समय रहते शासन इस मामले को गंभीरता से नहीं लेता, तो आने वाले समय में यह एक बड़े प्रशासनिक संकट का रूप ले सकता है। हालांकि वर्तमान में माननीय वनमंत्री जी ने विभाग में बहुत ही कड़ाई कि हैं जिसके तहत रायपुर वन परिक्षेत्र का मामला है जिसमें 5 लोगों पर कार्यवाही हम सब के सामने हैं पर छोटे वनकर्मी के ऊपर डंडा चलाने से IFS में संजीदगी नहीं आएगी, IFS पर सुकमा कि तरह कार्यवाही होने से ही उम्मीद कि जा सकती हैं कि विभाग में कुछ सुधार होगा।
हम मुख्यमंत्री एवं वन मंत्री छत्तीसगढ़ शासन से इस मामले को गंभीरता से लेने की विनती करते हैं और अपेक्षा करते हैं कि प्रदेश में सुशासन की छवि को बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
अब्दुल करीम
पत्रकार, RTI एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता
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