“घमंड में चूर दुर्ग DFO परदेशी! – महिला को कहा ‘काली-कलूटी, भैंसी’, 60 साल के कर्मचारी को दी गालियां – IFS के नाम पर खुली दबंगई?”

दुर्ग। दुर्ग वनमंडल अधिकारी (डीएफओ) श्री परदेसी पर उनके अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करने और गाली-गलौज करने के गंभीर आरोप लगे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वे नियमित रूप से अपशब्दों का सामना कर रहे हैं, यहां तक कि महिला कर्मचारियों के साथ भी अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जा रहा है।

क्या दुर्ग डीएफओ सुकमा कांड से नहीं ले रहे सीख?

हाल ही में सुकमा में भी वन विभाग के एक अधिकारी पर इसी तरह के आरोप लगे थे, फिर वहाँ के सभी कर्मचारियों ने एक जुट होकर DFO पटेल की जढ़े हिला दी जिसका परिणाम में तेंदुपत्ता बोनस तथा नगद भुगतान का मामला उठा, जिसके बाद उनके खिलाफ निलंबन और ACB-EOW की कार्रवाई हुई थी, और बोरिया बिस्तर गोल हुवा साथ ही सोने पे सोहागा ACB की कार्यवाही में 95 जमीन के कागजात का मिलना हो गया । लेकिन लगता है कि दुर्ग डीएफओ परदेशी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा और वे अब भी अपनी पुरानी आदतों से बाज नहीं आ रहे।

CCF मैच्चियों पर भी उठे सवाल

कर्मचारियों का आरोप है कि डीएफओ परदेशी के खिलाफ लगातार शिकायतों के बावजूद सीसीएफ (CCF) श्री मैच्चियों उन्हें बचाने में जुटे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने न सिर्फ शिकायतों को दबाया बल्कि उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी देने की जरूरत तक नहीं समझी। इससे यह साफ होता है कि एक IFS अधिकारी, दूसरे IFS अधिकारी की गलती को छुपाने की कोशिश कर रहा है।

बड़े अधिकारियों को है जानकारी, फिर भी कार्रवाई नहीं

सूत्रों के अनुसार, इस मामले की जानकारी सीसीएफ दुर्ग श्री मैच्चियों और प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव को भी है, लेकिन अब तक किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। कर्मचारियों में भय का माहौल है और वे लिखित शिकायत करने से बच रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि डीएफओ उनके सीआर (कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट) पर प्रतिकूल टिप्पणी कर उनकी पदोन्नति प्रभावित कर सकते हैं।

IFS होने का घमंड या अधिकारियों की चुप्पी का फायदा?

डीएफओ परदेशी के खिलाफ लगातार शिकायतें आ रही हैं, लेकिन न ही CCF मैच्चियों और न ही मुख्यालय के बड़े अधिकारी इस पर कोई सख्त कदम उठा रहे हैं। CCF मैच्चियों खुलेआम उनका बचाव कर रहे हैं और उनकी गलतियों पर पर्दा डाल रहे हैं। मुख्यालय को भी पूरी जानकारी है, लेकिन IFS की गरिमा बचाने के नाम पर न कोई कड़ी कार्रवाई की जा रही है, न ही कोई कड़ा पत्र जारी किया जा रहा है।

कर्मचारियों का आरोप है कि—
“डीएफओ परदेशी को यह घमंड हो गया है कि वे IFS हैं और कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उन्हें भरोसा है कि उनके IFS बिरादरी के अधिकारी उनका साथ देंगे।”

RTI से खुलासा – CCF ने गलत तरीके से बचाया परदेशी को

सूत्रों के मुताबिक, RTI में ऐसे कई आदेश सामने आए हैं, जहां CCF मैच्चियों ने DFO परदेशी के पक्ष में निर्णय लेकर उनकी गलतियों को छुपाया। उन्होंने अपने अर्धन्यायिक अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए कागजी कार्रवाई में भी परदेशी को बचाने का प्रयास किया।

“डीएफओ परदेशी को घमंड हो गया है कि वे IFS हैं, इसलिए कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उन्हें भरोसा है कि सारे IFS उनका साथ देंगे, और फिलहाल CCF मैच्चियों तो खुलेआम उनकी ढाल बने हुए हैं। मुख्यालय के अधिकारियों को भी सब पता है, लेकिन वे या तो बड़े पद की मजबूरी में या IFS की गरिमा बचाने के नाम पर न कोई सख्त कदम उठा रहे हैं, न कोई कड़ा पत्र जारी कर रहे हैं।”

“डीएफओ परदेशी का व्यवहार दर्शाता है कि IFS अधिकारियों के पास इतनी शक्ति होती है कि वे कुछ भी करें, तो भी उन्हें रोकने वाला कोई माई का लाल नहीं होता।”

“डीएफओ परदेशी की कार्यशैली, आदतें और व्यवहार यह साबित करते हैं कि वे ठीक उसी कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं—’कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती।'”

“डीएफओ परदेशी का व्यवहार और कार्यशैली यह साफ दिखाती है कि उनके पालन-पोषण और संस्कार किस स्तर के रहे होंगे। सार्वजनिक रूप से अभद्र भाषा का प्रयोग और कर्मचारियों से अमर्यादित आचरण न केवल उनके पद की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वे अपनी जिम्मेदारियों के योग्य हैं या नहीं।”

क्या वन विभाग कार्रवाई करेगा या ऐसे ही चलता रहेगा अत्याचार?

सवाल यह है कि क्या वन विभाग इस निरंकुशता को रोकने के लिए कोई सख्त कदम उठाएगा? या फिर डीएफओ परदेशी इसी तरह अपनी दबंगई दिखाते रहेंगे? क्या IFS की गरिमा बचाने के नाम पर अधिकारियों की चुप्पी बनी रहेगी?

अब देखना यह होगा कि वनबल प्रमुख एवं पीसीसीफ श्री व्ही श्रीनिवास राव तथा माननीय वनमंत्री जी छत्तीसगढ़ शासन वन विभाग इस पर क्या कार्रवाई करतें है या फिर कर्मचारी इसी तरह मानसिक उत्पीड़न सहते रहेंगे।

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