पेंड्रा। मरवाही वन मंडल के पेंड्रा वन परिक्षेत्र अधिकारी ईशवरी प्रसाद खुटे पर शासकीय वाहन के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगे हैं। जानकारी के अनुसार, जब से खुटे की पदस्थापना पेंड्रा में हुई है, तब से वे शासकीय वाहन सीजी 02 एफ 0017 (बोलरो जीप) का निजी कार्यों में उपयोग कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि वे इस वाहन को बलौदाबाजार जिले के अंतर्गत अपने गृह निवास कसडोल ले जाते हैं और शासकीय कार्यों के बजाय निजी कार्यों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
वन मंडलाधिकारी को जानकारी, फिर भी कार्रवाई नहीं
सूत्रों के अनुसार, इस पूरे मामले की जानकारी मरवाही वन मंडलाधिकारी (DFO) रौनक गोयल को भी है, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। वन विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इस अनियमितता पर कोई रोक नहीं लग पा रही है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि रेंजर ईशवरी प्रसाद खुटे और DFO के बीच गहरी सांठगांठ है, जिसके चलते इस तरह की अनियमितताएं हो रही हैं।
वन्य प्राणियों की सुरक्षा पर खतरा

वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा शासकीय वाहन के निजी उपयोग में व्यस्त रहने के कारण जंगल की सुरक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। वन्य प्राणियों की मौत, अवैध कटाई, जंगल में आग लगने जैसी घटनाओं पर अधिकारी का कोई ध्यान नहीं रहता। रेंजर साहब अपने गृहग्राम चले जाते हैं, जिससे क्षेत्र में वन संरक्षण की जिम्मेदारी अधर में लटक जाती है।
डिप्टी रेंजर से कराया जा रहा कार्य, डीजल बिल शासकीय वाहन पर
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो जब कभी आकस्मिक स्थिति में वाहन की आवश्यकता होती है, तो रेंजर ईशवरी प्रसाद खुटे, पेंड्रा के डिप्टी रेंजर प्रकाश बंजारे के वाहन का उपयोग करवाते हैं, जबकि डीजल का बिल शासकीय वाहन के नाम से उठाया जाता है। यह सरकारी संसाधनों का स्पष्ट दुरुपयोग है, लेकिन कोई अधिकारी इस पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।
छुट्टियों में वाहन का निजी उपयोग
सूत्र बताते हैं कि हर माह के शासकीय अवकाश, शनिवार और रविवार को रेंजर खुटे शासकीय वाहन को अपने गृहग्राम ले जाते हैं और अपने रिश्तेदारों के निजी कार्यों में समर्पित रखते हैं। यह सीधे-सीधे शासकीय वाहन एवं सरकारी राशि का दुरुपयोग है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं।
गैरहाजिरी में डिप्टी रेंजर से हस्ताक्षर
रेंजर की गैरहाजिरी के दौरान डिप्टी रेंजर प्रकाश बंजारे शासकीय कागजातों में प्रभारी के रूप में हस्ताक्षर करते हैं। सूत्रों का कहना है कि ऐसे कई अधिकृत कार्य रेंजर की अनुपस्थिति में कराए जा रहे हैं, जिससे शासकीय कार्यप्रणाली में गंभीर अनियमितताएं हो रही हैं।
जांच की मांग
स्थानीय जागरूक नागरिकों ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। यह मामला न केवल शासकीय संसाधनों के दुरुपयोग का है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण और वन संपदा की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। यदि जल्द ही इस पर उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न खड़े हो सकते हैं।
(नोट: संबंधित अधिकारियों से पक्ष जानने का प्रयास किया जा रहा है, उनका पक्ष मिलने पर खबर अपडेट की जाएगी।)