सरगुजा वन मंडल में करोड़ों की वसूली लटकी, जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई से बचते रहे
अंबिकापुर। सरगुजा वन वृत्त के अंतर्गत वर्ष 2015-16 में सरगुजा वन मंडल के विभिन्न परिक्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया गया था। हालांकि, ये सभी वृक्षारोपण कार्यक्रम विफल हो गए, जिससे नियमानुसार जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों से वसूली होनी थी। लेकिन अब तक केवल छोटे वनकर्मियों—वन रक्षक, वनपाल और उपवनक्षेत्रपाल—से ही वसूली हो सकी है, जबकि उच्च अधिकारी जैसे रेंजर, एसडीओ और डीएफओ अपनी पहुंच और प्रभाव का इस्तेमाल कर कार्रवाई से बचते रहे हैं।
करोड़ों की वसूली लटकी, शासन भी मौन
सूत्रों के अनुसार, इस प्रकरण में करोड़ों रुपये की वसूली प्रस्तावित है, लेकिन अब तक इसमें कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। बड़ी संख्या में अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जिससे वसूली की संभावना और भी कम हो गई है। शासन स्तर पर भी इन मामलों को टालने की प्रवृत्ति देखी जा रही है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है।
सख्त नियमों की जरूरत, रिटायरमेंट से पहले ही हो वसूली
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को ऐसे मामलों में जल्द कठोर नियम बनाने की आवश्यकता है। सुझाव दिया गया है कि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की सेवा निवृत्ति से पहले ही उनकी देनदारियां पूरी तरह वसूल ली जाएं। इसके लिए यह नियम लागू किया जा सकता है कि यदि कोई कर्मचारी इस तरह के प्रकरण में दोषी पाया जाता है और रिटायरमेंट से पहले उसका मामला नहीं सुलझता है, तो उसे मिलने वाली रिटायरमेंट राशि का 50% हिस्सा रोक दिया जाए। जब तक वसूली पूरी नहीं होती, तब तक यह राशि सरकार के पास सुरक्षित रहे। इससे अधिकारियों पर जवाबदेही बनेगी और वे अपने प्रकरण को नौकरी के दौरान ही निपटाने के लिए मजबूर होंगे।
सरगुजा वन मंडल में असफल वृक्षारोपण का ब्यौरा
सरगुजा वन मंडल में निम्नलिखित परिक्षेत्रों में वृक्षारोपण कार्यक्रम पूरी तरह असफल रहे—
- अंबिकापुर परिक्षेत्र (P2491): बिगड़े वनों का सुधार (RDF) – 13.93%
- अंबिकापुर परिक्षेत्र (P2599): बिगड़े वनों का सुधार (RDF) – 1.00%
- उदयपुर परिक्षेत्र (P2230): बिगड़े वनों का सुधार (RDF) – 10.55%
- उदयपुर परिक्षेत्र (P2215): बिगड़े वनों का सुधार (PLWC) – 23.95%
- लखनपुर परिक्षेत्र (P2205): बिगड़े वनों का सुधार (PLWC) – 9.82%
- लंद्रा परिक्षेत्र (P2604 G1): समितियों के माध्यम से लघु वन उपज एवं औषधीय रोपण – 11.00%
शासन कब लेगा ठोस निर्णय?
सरकार को चाहिए कि वह इन मामलों में जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए ताकि सरकारी धन की रिकवरी हो सके और भविष्य में इस तरह की लापरवाही रोकी जा सके। यदि सख्त नियम बनाए जाते हैं, तो अधिकारी एवं कर्मचारी सेवा के दौरान ही अपने प्रकरणों को निपटाने के लिए मजबूर होंगे, जिससे शासन को राजस्व हानि नहीं उठानी पड़ेगी। अब देखना यह होगा कि सरकार इस गंभीर मामले में कोई ठोस निर्णय लेती है या फिर यह मामला भी वर्षों तक लटका रहेगा।