कैम्पा फंड में बड़ा घोटाला? सरकारी पैसे का कोई हिसाब नहीं!
कैम्पा फंड में गड़बड़ी या लापरवाही?
महेंद्रगढ़ के वन मंडल अधिकारी ने कहा – “कैश बुक ही नहीं है”
महेंद्रगढ़ (छत्तीसगढ़): वन विभाग में वित्तीय पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा होता दिख रहा है। मनेन्द्रगढ़ वनमंडलाधिकारी (DFO) मनीष कश्यप द्वारा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत दी गई जानकारी ने विभागीय वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर संदेह पैदा कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखकर दिया है कि “कैम्पा योजना की कैश बुक नहीं है।”

कैश बुक नहीं, तो खर्च का हिसाब कहां?
सूचना के अधिकार के तहत एक आवेदन में अप्रैल 2022 से अक्टूबर 2024 के बीच कैम्पा मद की वित्तीय जानकारी मांगी गई थी। इसके जवाब में डीएफओ महोदय ने अपने पत्र क्रमांक स्टेनो/सूचना का अधिकार/2025/126 दिनांक 10.01.2025 में कहा कि कैम्पा योजना के तहत कैश बुक का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।

चौंकाने वाली बात यह है कि छत्तीसगढ़ फॉरेस्ट मैन्युअल के पेज नंबर 325 एवं परिशिष्ट – 22/1 में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि किसी भी प्रकार के वित्तीय लेनदेन के लिए कैश बुक रखना अनिवार्य है। इसके बावजूद डीएफओ यह कह रहे हैं कि उनके पास कोई कैश बुक नहीं है।

क्या बिना कैश बुक के हो रहा है करोड़ों का भुगतान?
अगर वाकई में कैम्पा योजना की कोई कैश बुक नहीं है, तो सवाल उठता है कि:
- बिना लेखा-जोखा के सरकार करोड़ों का बजट डीएफओ को कैसे दे रही है?
- कैम्पा मद से चेक जारी कर किए गए भुगतान का हिसाब कहां दर्ज हो रहा है?
- क्या मुख्य वन संरक्षक (CCF) और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) को बिना कैश बुक के ही वित्तीय रिपोर्ट भेजी जाती है?
- क्या महालेखा परीक्षक (AG ऑफिस, रायपुर) को बिना हिसाब-किताब के रिपोर्ट दी जा रही है?
- अगर डीएफओ के पास कैश बुक नहीं है, तो क्या उच्च अधिकारियों को भी इसकी जानकारी नहीं है?
भ्रष्टाचार की ओर इशारा?
डीएफओ मनीष कश्यप द्वारा इस तरह का पत्र जारी किया जाना खुद में संदेह पैदा करता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से वित्तीय अनियमितताओं को छिपाने की कोशिश हो रही है?
मुख्य सचिव और ACS से होगी शिकायत
इस गंभीर मामले को अब छत्तीसगढ़ शासन की अपर मुख्य सचिव (ACS) ऋँचा शर्मा और मुख्य सचिव के संज्ञान में लाने की तैयारी हो रही है। साथ ही, दिल्ली स्थित कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) को भी इसकी सूचना दी जाएगी, ताकि डीएफओ मनीष कश्यप की भूमिका की जांच की जा सके।
मांग उठ रही है कि:
- डीएफओ के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाए।
- उनकी वित्तीय अनियमितताओं की गहन जांच हो।
- यदि वे वित्तीय नियमों से अनभिज्ञ हैं, तो उन्हें दोबारा ट्रेनिंग दी जाए।
- भविष्य में ऐसे अधिकारियों को छत्तीसगढ़ में पोस्टिंग न दी जाए।
सार्वजनिक डोमेन में आएगा मामला
इस मामले को अब जनता के बीच लाने की जरूरत महसूस की जा रही है, ताकि वन विभाग में हो रही वित्तीय गड़बड़ियों का खुलासा हो सके। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह अकेले मनेन्द्रगढ़ वन मंडल का मामला है, या पूरे छत्तीसगढ़ के वन विभाग में ऐसा ही हो रहा है?
अब देखना यह होगा कि शासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।