सरगुजा: वन विभाग और प्रशासन की मिलीभगत से जारी लकड़ी तस्करी, हजारों पेड़ अवैध रूप से काटे गए

सरगुजा। सरगुजा जिले के लखनपुर वन परिक्षेत्र में वन विभाग और राजस्व प्रशासन की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर लकड़ी तस्करी का मामला सामने आया है। बिना किसी वैध अनुमति के हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं और इनका अवैध परिवहन उत्तर प्रदेश होते हुए हरियाणा भेजा जा रहा है।

वन और राजस्व विभाग की मिलीभगत

जानकारी के अनुसार, लखनपुर वन परिक्षेत्र में रेंजर, डीएफओ (अंबिकापुर) और एसडीएम की कथित सांठगांठ से यूकेलिप्टस के पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई हो रही है। जय दुर्गा राइस मिल के बगल में, गौरव पथ ब्रिक्स मोड़, देवगढ़ जाने वाले रास्ते में अंधला, राइस मिल के पास गोरता सहित अन्य इलाकों में हजारों पेड़ काटे गए हैं। इन पेड़ों की लकड़ी डंप कर उसे ट्रकों के माध्यम से बिना बीट पास और ट्रांजिट परमिट (TP) के हरियाणा भेजा जा रहा है।

जली हुई लकड़ी से बनाया जा रहा कोयला

इतना ही नहीं, तस्करों ने कटे हुए पेड़ों की टहनियों और शाखाओं को जलाकर कोयला बनाने का भी गोरखधंधा शुरू कर दिया है। इसके लिए 10 से 15 स्थानों पर बड़ी-बड़ी ईंटों की चिमनियां बनाई गई हैं, जहां दिन-रात लकड़ी जलाकर कोयला निकाला जा रहा है। प्रशासन इस अवैध गतिविधि पर चुप्पी साधे हुए है।

शिकायत पर विभागों ने झाड़ा पल्ला

इस मामले को लेकर जब डीएफओ अंबिकापुर से शिकायत की गई तो उन्होंने इसे राजस्व विभाग का मामला बताया, वहीं जब राजस्व विभाग से शिकायत की गई तो उन्होंने इसे वन विभाग का मामला करार दे दिया। दोनों विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर लकड़ी तस्करों को खुली छूट दे रहे हैं।

सरगुजा के प्राकृतिक संतुलन पर संकट

सरगुजा अपने घने जंगलों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, लेकिन इस अवैध कटाई के कारण जंगलों का तेजी से दोहन हो रहा है। बड़े पैमाने पर हो रही इस तस्करी से क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन भी खतरे में पड़ सकता है।

प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। जब अदानी समूह द्वारा पेड़ों की कटाई होती है, तो राजनीतिक दल और पर्यावरण प्रेमी संगठन विरोध में खड़े हो जाते हैं, लेकिन इस अवैध कटाई पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

अब देखना होगा कि सरकार और स्थानीय प्रशासन इस मामले में कोई ठोस कदम उठाते हैं या फिर तस्करों को इसी तरह खुली छूट मिलती रहेगी।

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