छत्तीसगढ़ : ईमानदार IFS की चिंता: भ्रष्टाचार पर छोटे कर्मचारियों पर त्वरित वसूली, बड़े अधिकारियों को छूट ! शासन के कठोर निर्णय एवं नियम कि जरुरत ।

रायपुर। छत्तीसगढ़ के वन विभाग में व्यापक भ्रष्टाचार को लेकर कुछ ईमानदार IFS अधिकारियों ने चिंता जाहिर की है। नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में एक ही सिस्टम से काम हो रहा है, जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला है। विशेष रूप से वृक्षारोपण से जुड़े कार्यों में बड़े स्तर पर गड़बड़ियां हो रही हैं।

माननीय मंत्री जी आप तो हमारे छत्तीसगढ़ के सुपुत हो आप तो काम से कम इस में उठाए सवाल का जवाब को अमलीजामा पहना कर छत्तीसगढ़ के पैसा को डूबने से बचा सकतें हैं।

वृक्षारोपण में भारी भ्रष्टाचार

IFS अधिकारियों के मुताबिक, वृक्षारोपण के लिए खरीदी गई सामग्री जैसे फेंसिंग पोल, बारबेट तार, रासायनिक खाद आदि का केवल 30 से 40 प्रतिशत ही खरीदा जाता है। इसके कारण अधिकतर वृक्षारोपण असफल हो जाते हैं, और इस विफलता का सबसे अधिक नुकसान छोटे कर्मचारियों को उठाना पड़ता है।

ईमानदार छवि पर ऐसा कुछ करने कि आवश्यकता जिससे कोई भी भ्रष्टाचारी न बच सके।

छोटे कर्मचारियों पर त्वरित वसूली, बड़े अधिकारी बचते हैं

वन विभाग में वसूली का पूरा खेल CCF के एकतरफा आदेश से चलता है। छोटे कर्मचारी जैसे वनरक्षक, वनपाल और डिप्टी रेंजर से तुरंत वसूली की जाती है। आदेश जारी होते ही 12, 24 या 36 महीनों में उनके वेतन से कटौती कर ली जाती है। दूसरी ओर, रेंजर, SDO और DFO की वसूली को 10-20 साल तक लटका दिया जाता है।

वन मुख्यालय की उदासीनता

वन मुख्यालय के अधिकारी इस मामले में पल्ला झाड़ते हुए कहते हैं कि उन्होंने प्रस्ताव राज्य शासन को भेज दिया है, और जब तक वहां से आदेश नहीं आएगा, वे कुछ नहीं कर सकते। इस प्रक्रिया के चलते कई अधिकारी रिटायर हो जाते हैं और उनके करोड़ों रुपये की वसूली शासन के खाते में डूब जाती है।

सेवानिवृत्ति से पहले वसूली अनिवार्य करने की मांग

ईमानदार अधिकारियों का सुझाव है कि सरकार को नियम बनाकर यह अनिवार्य करना चाहिए कि कोई भी अधिकारी अपनी सेवानिवृत्ति से छह महीने पहले सभी वित्तीय मामलों का निपटारा करे। यदि ऐसा नहीं होता है, तो उनकी कुल देय राशि का केवल 50% ही सेवानिवृत्ति के समय दिया जाए और शेष 50% का भुगतान तभी किया जाए जब उनके लंबित प्रकरणों का निपटारा हो जाए।

भ्रष्टाचार में शामिल बड़े अधिकारियों की मनमानी

IFS अधिकारियों का आरोप है कि कुछ CCF इस स्थिति को अपने लिए अवसर के रूप में देखते हैं और ज्यादा से ज्यादा भ्रष्टाचार में संलिप्त रहते हैं। रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके IFS और DFO छोटे कर्मचारियों पर दबाव डालकर उनसे पैसे वसूलते हैं। वे उन्हें ब्लैकमेल करते हैं कि उनके वृक्षारोपण कार्यों की जांच कराकर 100% वसूली करवा देंगे, जब तक कि वे रिश्वत न दें।

अपने विभागीय जीवन से जल्द ही रिटायर होने वैलेंटाइन हैं कमसेकम जाने से पहले छत्तीसगढ़ वन विभाग के सिस्टम को सुधारने का प्रयास तो करते जाइए, हमें पता है ये छत्तीसगढ़ आपका गृह प्रदेश नहीं हैं पर मानवता के चलते ही सही कुछ कदम तो ठीक चलिए, नहीं तो छत्तीसगढ़िया आपके कार्यकाल को एक ख़राब युग कहेँगे और जानेंगे।

वन बल प्रमुख को भी जानकारी, लेकिन कार्रवाई नहीं

सूत्रों के अनुसार, इस भ्रष्टाचार की जानकारी वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव सहित सभी CCF और APCCF को है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। छोटे कर्मचारियों में इस बात को लेकर भारी रोष है कि उनसे त्वरित वसूली की जाती है, जबकि करोड़ों के घोटाले करने वाले बड़े अधिकारी आराम से बच निकलते हैं।

सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत

इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार को कड़े नियम बनाने चाहिए, जिससे कि सभी स्तर के अधिकारियों से समान रूप से वसूली हो और भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सके। यदि इस दिशा में सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह घोटाला प्रदेश के विकास को नुकसान पहुंचाता रहेगा।

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