दुर्ग। दुर्ग वनमंडल अधिकारी (डीएफओ) श्री चंद्रशेखर शंकरसिंग परदेसी पर उनके अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करने और गाली-गलौज करने के गंभीर आरोप लगे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वे नियमित रूप से अपशब्दों का सामना कर रहे हैं, यहां तक कि महिला कर्मचारियों के साथ भी अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जा रहा है।

बड़े अधिकारियों को है जानकारी, फिर भी कार्रवाई नहीं
सूत्रों के अनुसार, इस मामले की जानकारी सीसीएफ दुर्ग श्री मैच्चियों और प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव को भी है, लेकिन अब तक किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। कर्मचारियों में भय का माहौल है और वे लिखित शिकायत करने से बच रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि डीएफओ उनके सीआर (कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट) पर प्रतिकूल टिप्पणी कर उनकी पदोन्नति प्रभावित कर सकते हैं।
दैनिक वेतनभोगियों पर भी बढ़ रहा दबाव
स्थायी कर्मचारियों के साथ-साथ दैनिक वेतनभोगी और चौकीदारों को भी लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, डीएफओ चंद्रशेखर शंकरसिंग परदेसी उन्हें छुट्टियों के दिन भी ड्यूटी पर बुलाते हैं और अगर कोई बिना अनुमति छुट्टी लेता है, तो 15 दिन का वेतन काट लिया जाता है। कर्मचारियों का आरोप है कि डीएफओ अपनी दबंगई दिखाते हुए लगातार अनुचित आदेश जारी कर रहे हैं।
भगवान से मिन्नतें कर रहे कर्मचारी
कर्मचारियों में इस हद तक आक्रोश है कि वे डीएफओ चंद्रशेखर शंकरसिंग के स्थानांतरण के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं। कई कर्मचारियों ने मन्नत मांगी है कि यदि डीएफओ का तबादला होता है, तो वे मंदिरों में नारियल चढ़ाएंगे।
इस मामले को लेकर वन विभाग के उच्च अधिकारियों की चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या वन विभाग ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करेगा, या कर्मचारियों की यह पीड़ा यूं ही जारी रहेगी?