छत्तीसगढ़: वनरक्षक भर्ती में बड़ा घोटाला, मुख्यमंत्री कार्यालय ने दिए जांच के निर्देश,
रायपुर, 12 जनवरी 2025 – छत्तीसगढ़ में वनरक्षक भर्ती घोटाले का बड़ा खुलासा हुआ है। 1628 पदों पर हुई इस भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगे हैं। इस मामले को लेकर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष (भाजपा अजजा मोर्चा) रामलखन सिंह पैकरा द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने जांच के आदेश जारी किए हैं।

मुख्यमंत्री कार्यालय की कार्रवाई
मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक को निर्देश दिया है कि शिकायत की निष्पक्ष जांच कराई जाए और यदि आरोप सत्य पाए जाते हैं तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो। मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ. इमाम सिंह राज द्वारा 6 जनवरी 2025 को आदेश जारी किया गया, जिसकी प्रति शिकायतकर्ता को भी भेजी गई है।

भर्ती में कैसे हुई धांधली?
वनरक्षक भर्ती को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय मिश्रा ने भी अपर मुख्य सचिव, वन विभाग, मंत्रालय को पत्र लिखकर मुख्य वन संरक्षक श्रीनिवास राव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। शिकायत में प्रमुख अनियमितताओं का उल्लेख किया गया है:
- भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी – नवंबर-दिसंबर 2024 में हुई परीक्षा में 4.25 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने भाग लिया था, लेकिन कई जिलों में प्रक्रिया में भारी गड़बड़ियां सामने आईं।
- रात में गुप्त रूप से परीक्षा कराई गई – सरकार के 21 मई 2024 के आदेश के अनुसार शारीरिक परीक्षा के सभी मानकों का पालन किया जाना था, लेकिन कुछ जिलों में गुप्त रूप से रात में परीक्षाएं कराई गईं, जिससे मेरिट में हेरफेर किया गया।
- गलत तरीके से माप और चयन – रायगढ़, बीजापुर और दंतेवाड़ा समेत कई जिलों में फिजिकल टेस्ट के लिए मान्य मशीनों का उपयोग नहीं किया गया, बल्कि मैनुअल नापजोख से उम्मीदवारों को पास कर दिया गया।
- भारी वित्तीय अनियमितता – 10 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, लेकिन चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं के चलते यह खर्च संदिग्ध लग रहा है।
- नियमानुसार टेंडर प्रक्रिया का उल्लंघन – परीक्षा कराने के लिए जो एजेंसी नियुक्त की गई थी, उसने समय पर सही मशीनें उपलब्ध नहीं कराईं, जिससे भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई।
विपक्ष ने उठाए सवाल, निष्पक्ष जांच की मांग

इस घोटाले के सामने आने के बाद विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है। भाजपा ने मांग की है कि भर्ती प्रक्रिया की सीबीआई जांच कराई जाए और दोषियों को सख्त सजा दी जाए। अधिवक्ता विजय मिश्रा ने कहा कि यदि वनरक्षक भर्ती घोटाले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो वे इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय जाएंगे।

अब आगे क्या?
मुख्यमंत्री कार्यालय की सख्ती के बाद अब वन विभाग पर दबाव बढ़ गया है कि वह पूरी भर्ती प्रक्रिया की पुनः जांच कराए। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोषियों पर कार्रवाई होती है या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।