छत्तीसगढ़ के वन विभाग में एक अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है। जहां एक ओर ई-कुबेर प्रणाली के तहत मजदूरों के बैंक खातों में सीधा भुगतान किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर डीएफओ (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) अधीनस्थ रेंजरों से मासिक लेखा (मंथली अकाउंट) की मांग कर रहे हैं।
कैसे हो रहा है भुगतान?
ई-कुबेर प्रणाली के तहत डीएफओ सीधे भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को चेक जारी कर रहे हैं, जिससे मजदूरों के बैंक खातों में सीधे पैसे जमा हो रहे हैं। इस प्रक्रिया में रेंजरों की कोई भूमिका नहीं रह जाती, फिर भी उनसे मासिक लेखा मांगा जा रहा है, जिससे अधिकारियों और कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
पीसीसीएफ रायपुर मौन क्यों?
इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) रायपुर इस मामले में चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? जब ई-कुबेर के माध्यम से भुगतान पारदर्शी तरीके से हो रहा है, तो फिर डीएफओ द्वारा अतिरिक्त दस्तावेजों की मांग का औचित्य क्या है?
वन विभाग में असमंजस की स्थिति
वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस उलझन में हैं कि क्या यह नई व्यवस्था के नाम पर अनावश्यक दबाव डालने की कोशिश है या फिर कोई प्रशासनिक लापरवाही? मजदूरों के लिए सरकार द्वारा बनाई गई डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) प्रणाली में अगर पैसा सीधे खातों में जा रहा है, तो फिर अतिरिक्त लेखा-जोखा मांगने का क्या कारण है?
शीर्ष अधिकारियों को स्थिति स्पष्ट करनी होगी
मामले को लेकर वन विभाग के रेंजरों और अन्य अधिकारियों में आक्रोश बढ़ रहा है। अगर कोई गड़बड़ी नहीं हो रही, तो पीसीसीएफ को आगे आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए ताकि कर्मचारियों में बढ़ रही असमंजस की स्थिति को खत्म किया जा सके। अब देखना होगा कि क्या वन विभाग के उच्च अधिकारी इस मुद्दे पर कोई स्पष्टीकरण देंगे या फिर यह मामला यूं ही दबा रहेगा।